राजस्थान का हनुमान मंदिर, जहां चढ़ते हैं 25 लाख नारियल, 250 बीघा खेत में हर साल दबा दिया जाता है; यहां हैं दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी

राजस्थान के चूरू जिले में स्थित सलासर बालाजी मंदिर हनुमानजी के प्रमुख और शक्तिपीठ जैसे माने जाने वाले मंदिरों में से एक है। यहां हनुमानजी की मूर्ति दाढ़ी और मूंछ के साथ विराजमान है, जो भारत में अन्यत्र कहीं नहीं देखने को मिलती। यह मंदिर भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाले ‘मनोकामना सिद्ध पीठ’ के रूप में प्रसिद्ध है।
मंदिर का इतिहास
सलासर बालाजी मंदिर की स्थापना 1754 ईस्वी में हुई थी। मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक पौराणिक कथा है:
राजस्थान के असोटा गांव में एक किसान अपने खेत जोत रहा था। तभी उसके हल में लोहे की वस्तु टकराई। जब उसने खुदाई की तो वहाँ से हनुमानजी की मूर्ति निकली। उसी रात असोटा के ठाकुर और सलासर गांव के मोहनदास जी महाराज को स्वप्न में बालाजी ने दर्शन दिए और मूर्ति को सलासर ले जाने की बात कही।
इसके बाद वह मूर्ति सलासर लाई गई और वहाँ पर इस दिव्य मंदिर की स्थापना हुई। कहा जाता है कि मूर्ति स्वयंभू (स्वतः प्रकट हुई) है।
हनुमानजी की मूर्ति की विशेषता
सलासर बालाजी की मूर्ति अन्य स्थानों की हनुमान प्रतिमाओं से भिन्न है।
-
इस मूर्ति में हनुमानजी के चेहरे पर दाढ़ी और मूंछ है।
-
बालाजी जी का स्वरूप यहाँ अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है।
-
यह स्वरूप शत्रुओं पर विजय, बाधाओं की समाप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।
पूजा विधि और परंपराएं
सलासर बालाजी मंदिर में विशेष पूजा विधि और परंपराएं निभाई जाती हैं:
-
तिल का तेल, नारियल, लाल चुनरी और बूंदी का प्रसाद चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
-
भक्त बालाजी को मनोकामना पत्र लिखकर भेजते हैं या उनके चरणों में रख देते हैं।
-
शनिवार और मंगलवार को विशेष भीड़ होती है।
-
रुद्राभिषेक, हवन और सुंदरकांड पाठ जैसे धार्मिक आयोजन मंदिर में नियमित होते हैं।
मेले और उत्सव
यहाँ साल में दो प्रमुख मेले लगते हैं:
-
चैत्र पूर्णिमा
-
आश्विन पूर्णिमा
इन मेलों में लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से पैदल यात्रा करते हुए दर्शन करने आते हैं। भक्तजन इसे "बालाजी की पदयात्रा" कहते हैं, जो राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से बड़ी श्रद्धा से आती है।
भक्ति और आस्था का केंद्र
सलासर बालाजी केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यदि सच्चे मन से बालाजी से कुछ मांगा जाए, तो वह जरूर पूरा होता है।
कैसे पहुंचें सलासर बालाजी मंदिर
-
निकटतम रेलवे स्टेशन: रतनगढ़ जंक्शन (लगभग 27 किमी)
-
निकटतम हवाई अड्डा: जयपुर (लगभग 170 किमी)
-
सड़क मार्ग से राजस्थान के किसी भी कोने से सलासर आसानी से पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
सलासर बालाजी का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवित आस्था का प्रतीक है। यहां की हवा में भक्ति है, और वातावरण में चमत्कार की अनुभूति होती है। जो भी भक्त यहां सच्चे मन से आता है, बालाजी उसकी झोली जरूर भरते हैं।