
जब एक सुई भी शरीर में चुभती है, तो वह तीव्र पीड़ा देती है। लेकिन सोचिए, अगर किसी इंसान के शरीर में 150 से ज्यादा पिन मौजूद हों और वह व्यक्ति ज़िंदा हो — तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। राजस्थान के बूंदी ज़िले के रहने वाले 56 वर्षीय बद्रीलाल की कहानी कुछ ऐसी ही है, जिसने न केवल चिकित्सा जगत को चौंका दिया, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गई।
शुरुआत एक आम बीमारी से हुई
करीब 10 महीने पहले बद्रीलाल को शुगर की शिकायत हुई। धीरे-धीरे उनके शरीर में दर्द, सूजन और कमजोरी की शिकायतें बढ़ने लगीं। उन्हें पांव में असहनीय दर्द और गले में सूजन जैसी परेशानियां होने लगीं। जब डॉक्टरों ने शुरुआती जांच में कोई स्पष्ट कारण नहीं पाया, तब एक्स-रे करवाया गया — और वही पल उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ।
एक्स-रे में निकला चौंकाने वाला सच
एक्स-रे रिपोर्ट देखकर डॉक्टर हैरान रह गए। बद्रीलाल के शरीर के भीतर सैकड़ों की संख्या में सुइयां और पिन दिखाई दीं। कुछ पिन इतनी गहराई में थीं कि सांस की नली, गले और खून पहुंचाने वाली नाड़ियों को भी प्रभावित कर चुकी थीं।
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह थी कि बद्रीलाल को खुद ही नहीं पता था कि इतनी सारी सुइयां उनके शरीर में कैसे पहुंचीं। उनके शरीर पर कोई चोट या घाव भी नहीं था। यह एक रहस्य बन गया — कि क्या ये किसी मानसिक स्थिति के कारण खुद से निगली गईं, या कोई और बात थी।
इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटके
परिवार वालों ने कई बड़े अस्पतालों के चक्कर काटे, लेकिन ज्यादातर ने इलाज करने से इनकार कर दिया। कारण साफ था — इतनी बड़ी संख्या में शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के पास सुइयां होना सर्जरी को जानलेवा बना देता था।
बद्रीलाल की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि खाना-पीना बंद हो चुका था, सांस लेने में दिक्कत थी, और उनका वजन 30 किलो तक कम हो गया था। अंत में वह पहुंचे फरीदाबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस।
6 घंटे चली जानलेवा सर्जरी
यहां डॉक्टरों ने केस की गंभीरता को समझते हुए ईएनटी, कार्डियोवेस्कुलर, जनरल सर्जरी और एनेस्थीसिया के विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम बनाई। सबसे बड़ी चुनौती थी बद्रीलाल को बेहोश करना, क्योंकि सांस नली में भी पिन थीं।
डॉ. ललित मोहन पाराशर की अगुआई में ट्रैक्योस्टोमी तकनीक से उन्हें बेहोश किया गया। इसके बाद करीब 6 घंटे चली सर्जरी में गले, पेट और छाती से करीब 90 सुइयां निकाली गईं। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ पिन दिमाग को खून ले जाने वाली नसों के बेहद पास थीं।
भारत में पहला ऐसा केस
डॉ. एन. के. पांडे, चेयरमैन, एशियन हॉस्पिटल, का कहना है कि यह भारत में ऐसा पहला केस है जिसमें किसी एक व्यक्ति के शरीर से इतनी संख्या में पिन निकाली गई हों और सर्जरी सफल रही हो। अस्पताल ने इस केस को "लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में दर्ज कराने के लिए आवेदन भेजा है।
अभी भी जारी है इलाज
अब तक बद्रीलाल की दो सर्जरी हो चुकी हैं, जिनमें 87 पिन गले और 3 पिन पेट से निकाली गईं। डॉक्टरों का कहना है कि अभी और भी पिन उनके शरीर में मौजूद हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से निकाला जाएगा। फिलहाल बद्रीलाल की सेहत में सुधार हो रहा है और उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही सामान्य जीवन की ओर लौट पाएंगे।
सवाल जो आज भी अनसुलझा है
इस पूरे केस का सबसे रहस्यमय पहलू यह है कि पिन उनके शरीर में आखिर गईं कैसे? क्या यह कोई मानसिक विकार था? क्या यह आत्म-हिंसा का मामला था या फिर किसी ने उनके साथ जानबूझकर ऐसा किया?
डॉक्टरों और परिवार — दोनों के पास इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है। लेकिन फिलहाल, बद्रीलाल के लिए सबसे अहम बात यह है कि वह दूसरा जन्म लेकर जीवन की ओर लौट रहे हैं।