किस तरफ होनी चाहिए गणेश की सूंड़, क्या है इसका महत्व? 2 मिनट के इस वीडियो को देखें और जानें पूरा सच
भगवान गणेश की मूर्तियों में उनकी सूंड़ की दिशा का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश प्रतिमा की सूंड़ किस दिशा में होनी चाहिए और इसका क्या प्रभाव पड़ता है? आइए जानते हैं इससे जुड़ी मान्यताएं और धार्मिक महत्व।
गणेश जी की सूंड़ के प्रकार और उनका महत्व
भगवान गणेश की सूंड़ मुख्य रूप से तीन दिशाओं में देखने को मिलती है - बाईं तरफ, दाईं तरफ और सीधी। इन तीनों दिशाओं का अलग-अलग धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बताया गया है।
1. बाईं सूंड़ वाली गणेश प्रतिमा
बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड़ वाली गणेश प्रतिमा को सबसे अधिक शुभ माना जाता है। यह घर और कार्यालय में स्थापित करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है। ऐसी प्रतिमा को सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। बाईं सूंड़ वाली गणेश मूर्तियां घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
2. दाईं सूंड़ वाली गणेश प्रतिमा
दाईं ओर मुड़ी सूंड़ वाली गणेश प्रतिमा का महत्व आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि से अधिक माना जाता है। इसे दक्षिणमुखी गणेश भी कहा जाता है। इस प्रकार की मूर्ति की पूजा करने के लिए विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है, क्योंकि यह अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है। तांत्रिक साधनाओं और विशेष अनुष्ठानों में इस गणेश प्रतिमा का उपयोग किया जाता है।
3. सीधी सूंड़ वाली गणेश प्रतिमा
कुछ मूर्तियों में गणेश जी की सूंड़ सीधी रहती है। यह प्रतीकात्मक रूप से संतुलन और स्थिरता को दर्शाती है। ऐसी प्रतिमाएं दुर्लभ होती हैं और इन्हें विशेष रूप से योग और ध्यान साधना के लिए उपयोग किया जाता है।
घर में कौन सी गणेश प्रतिमा स्थापित करें?
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घर के लिए: बाईं सूंड़ वाली गणेश प्रतिमा सबसे शुभ मानी जाती है। यह परिवार में सुख-समृद्धि लाने वाली होती है।
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व्यापार के लिए: कार्यालय और दुकान में भी बाईं सूंड़ वाली प्रतिमा स्थापित करने से सफलता मिलती है।
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विशेष साधनाओं के लिए: दाईं सूंड़ वाली प्रतिमा को विशेष मंत्रों और नियमों के साथ पूजा करने पर फलदायी माना जाता है।
निष्कर्ष
भगवान गणेश की सूंड़ की दिशा उनके प्रभाव को निर्धारित करती है। सही मूर्ति का चयन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए गणेश प्रतिमा स्थापित करने से पहले उसकी सूंड़ की दिशा और उसके महत्व को जरूर समझें।

