
कई देशों में मृत्युदंड बहुत क्रूर तरीके से दिया जाता था। उन देशों में क्रूर दंड का लंबा इतिहास रहा है। एशिया में जापान से लेकर यूरोप में इंग्लैंड तक अपराधी और आरोपी को उबलते तेल में फेंककर सजा देने का प्रावधान है। दरअसल, हाल ही में अमेरिका में एक महिला को हत्या के मामले में मौत की सजा दी गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, इस अमेरिकी महिला को जानलेवा इंजेक्शन दिया गया था। उस महिला के खिलाफ जज द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद एक बार फिर मौत की सजा को लेकर बहस छिड़ गई है। आपको बता दें कि अमेरिका में 70 साल बाद किसी को मौत की सजा दी गई है। यदि हम दस्तावेजों पर गौर करें तो पता चलता है कि कई लोगों को पिघले हुए सीसे, मोम या शराब में डुबोकर मौत की सजा दी गई थी।
अपराधी को उसके मरने तक इसके अन्दर रखा जाता था। रोमन सम्राट नीरो के शासनकाल में हजारों ईसाइयों को तेल में उबाला गया था। कई इतिहास की पुस्तकों में उल्लेख है कि 12वीं शताब्दी के अंत से लेकर 16वीं शताब्दी के मध्य तक इंग्लैंड में भी इस तरह से लोगों को मौत की सजा दी जाती थी।
इंग्लैंड में उबलते तेल में डूबकर मौत का एक मामला काफी प्रसिद्ध है। इंग्लैंड के हेनरी अष्टम ने 1531 में भोजन में जहर देकर हत्या करने पर मृत्युदंड के कानून को मंजूरी दी। इस कानून के तहत पहली मौत 1531 में रसोइये रिचर्ड रोज़ को रोचेस्टर के बिशप के भोजन में जहर मिलाने के आरोप में दी गई थी।
इसके बाद वर्ष 1542 में मार्गरेट डेवी नामक नौकरानी को अपनी मालकिन के खाने में जहर मिलाने की सजा के तौर पर उबलते पानी में उबाला गया था। न केवल इंग्लैंड बल्कि स्कॉटलैंड में भी मृत्युदंड का प्रावधान है। 13वीं से 16वीं शताब्दी तक फ्रांस और जर्मनी में भी उबलते तेल में फेंककर मौत की सजा देने के मामले इतिहास में दर्ज हैं। इतना ही नहीं, 16वीं शताब्दी में जापान में एक व्यक्ति और उसके पूरे परिवार को रस्सी से बांधकर उबलते तेल में फेंक दिया गया था।