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OMG! इंसानों के शरीर में प्रवेश कर चुकी है ये घातक चीज, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

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प्लास्टिक आज के दौर में हमारे दैनिक जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे हम घर के सामान की बात करें, पैकिंग, खाने-पीने की वस्तुएं या फिर फर्नीचर तक, हर जगह प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है। हालांकि, हम जानते हैं कि प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है, फिर भी इसका इस्तेमाल कम नहीं हो रहा। अब एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि प्लास्टिक का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है और खासकर यह हमारे दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण बन चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल की बीमारियों से होने वाली लगभग 13% मौतें प्लास्टिक के कारण होती हैं।

प्लास्टिक का शरीर पर खतरा

रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि प्लास्टिक हमारे शरीर के कई अहम अंगों में पहुंच चुका है। इसमें फेफड़े, लीवर, किडनी, खून, दिमाग और यहां तक कि प्रजनन तंत्र (प्राइवेट पार्ट) भी शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि माइक्रोप्लास्टिक कण पुरुषों के सीमेन (वीर्य) और महिलाओं के ओवरी फ्लूइड में भी मौजूद हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। इसका मतलब यह है कि प्लास्टिक हमारे प्रजनन तंत्र तक पहुंच चुका है, जिससे आने वाले समय में बच्चों के जन्म में बाधाएं आ सकती हैं।

प्लास्टिक शरीर में कैसे पहुंचता है?

वैज्ञानिकों ने बताया है कि प्लास्टिक मुख्य रूप से स्टायरोफोम, पॉलीस्टायरीन, नायलॉन जैसी चीजों से निकलता है, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है। ये माइक्रोप्लास्टिक्स हवा में, पानी में और खाने के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। हर साल लगभग 10 से 40 मिलियन मीट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण में छोड़े जाते हैं, और इंसान प्रतिवर्ष लगभग 250 ग्राम प्लास्टिक निगलता है।

माइक्रोप्लास्टिक के स्वास्थ्य पर प्रभाव

माइक्रोप्लास्टिक के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर अभी तक इंसानों पर विस्तृत अध्ययन सीमित हैं, लेकिन जो शोध जानवरों पर हुए हैं, वे चिंताजनक हैं। उन जानवरों के डीएनए में जिनका संरचना इंसानों से मिलती जुलती है, माइक्रोप्लास्टिक के घातक प्रभाव दिखे हैं। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इंसानों पर भी इसके समान प्रभाव देखने को मिलेंगे।

माइक्रोप्लास्टिक्स के शरीर में पाए जाने वाले अंग

वैज्ञानिकों ने माइक्रोप्लास्टिक कणों को गर्भाशय, प्लेसेंटा (गर्भाशय की भीतरी परत) और मानव अंडकोष में भी पाए हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि प्लास्टिक सिर्फ बाहरी वातावरण में ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर के अंदर भी फैल चुका है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, खासकर प्रजनन क्षमता पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।

प्लास्टिक से बचाव के उपाय

हालांकि प्लास्टिक का व्यापक उपयोग हमारे लिए खतरे की घंटी है, लेकिन कुछ आसान और कारगर उपाय अपनाकर हम अपने शरीर को इससे बचा सकते हैं।

  1. प्लास्टिक की जगह कांच का उपयोग करें: पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल के बजाय कांच की बोतल का इस्तेमाल करें। कांच की बोतल न केवल सुरक्षित होती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर विकल्प है।

  2. प्लास्टिक कंटेनर में माइक्रोवेव का इस्तेमाल न करें: खाना गर्म करते समय प्लास्टिक कंटेनरों का उपयोग न करें क्योंकि उच्च तापमान पर प्लास्टिक से हानिकारक रसायन निकल सकते हैं जो खाने में मिल जाते हैं।

  3. प्लास्टिक बैग से बचें: खरीदारी के लिए प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े या जूट के बैग का इस्तेमाल करें।

  4. प्लास्टिक की पैकिंग से बचें: कोशिश करें कि आप ताजे फल और सब्जियां प्लास्टिक में पैक किए हुए न खरीदें।

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