
फिस आना-जाना हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा होता है, लेकिन कई बार ये प्रक्रिया थका देने वाली और बेहद चुनौतीपूर्ण बन जाती है। कभी लोकल बसों में भीड़ का सामना करना पड़ता है, तो कभी मेट्रो में घंटों खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि कोई इंसान रोज़ाना फ्लाइट से ऑफिस जाता हो? जी हां, ये कोई मज़ाक नहीं बल्कि हकीकत है!
जर्मनी का रहने वाला एक शख्स सेब इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। वजह है उसका अनोखा ऑफिस आने-जाने का तरीका। सेब हर दिन जर्मनी के हैम्बर्ग से ब्रिटेन के लंदन तक फ्लाइट पकड़कर ऑफिस जाता है और दिन खत्म होते ही उसी रास्ते से वापस लौटता है।
दो देशों का सफर, सिर्फ ऑफिस के लिए!
सेब पेशे से एक कॉर्पोरेट प्रोफेशनल हैं और साथ ही टिकटॉक पर काफी एक्टिव रहते हैं। वह अपने इस अनोखे सफर को टिकटॉक वीडियो के जरिए साझा करते रहते हैं। उनके मुताबिक, वह हर दिन लगभग 5 घंटे का सफर करते हैं—जिसमें दो देशों की सीमाएं पार होती हैं।
सेब हैम्बर्ग (जर्मनी) से लंदन के कैनरी घाट (Canary Wharf) स्थित अपने ऑफिस पहुंचने के लिए पहले चार ट्रेनें पकड़ते हैं, फिर हीथ्रो एयरपोर्ट से फ्लाइट लेते हैं। यह सुनने में जितना अजीब है, असल में उतना ही दिलचस्प भी है।
क्या यह महंगा नहीं है?
लंदन जैसे महंगे शहर में रहना आम लोगों के लिए बेहद खर्चीला हो सकता है। लेकिन सेब का मानना है कि फ्लाइट से आना-जाना महंगा नहीं, बल्कि ज़रूरी है। जब उनसे यह पूछा गया कि वे ऐसा क्यों करते हैं तो उन्होंने कहा—
"मैं पैसे बचाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी गर्लफ्रेंड के लिए ये सब कर रहा हूं।"
जी हां, सेब की गर्लफ्रेंड हैम्बर्ग में रहती है और वह उनके साथ ही रहना चाहते हैं। इसीलिए, उन्होंने ऑफिस लंदन में होने के बावजूद वहीं रहने का फैसला किया है। प्यार के लिए रोजाना दो देशों का सफर करने वाले सेब ने यह साबित कर दिया है कि जहां चाह होती है, वहां राह भी होती है।
टिकटॉक पर खूब हो रही चर्चा
सेब का यह सफर सोशल मीडिया यूज़र्स के लिए एक "अजब-गजब" खबर बन चुका है। लोग उनके वीडियो को देखकर हैरान हैं कि कैसे कोई इतनी मेहनत करके रोज़ाना ऑफिस जा सकता है।
सेब टिकटॉक पर नियमित रूप से अपने सफर के वीडियो पोस्ट करते हैं। एक वीडियो में उन्होंने दिखाया कि कैसे वह शाम को 5 बजे अपने ऑफिस से निकलते हैं, ट्रेन पकड़कर एयरपोर्ट पहुंचते हैं, खाना खाते हैं और फिर फ्लाइट पकड़कर हैम्बर्ग वापस लौटते हैं।
मानसिक और शारीरिक थकान का नहीं होता असर?
सेब मानते हैं कि यह सफर थकान भरा हो सकता है, लेकिन उन्हें इसकी आदत हो चुकी है। उन्हें सफर में काम करने का समय भी मिल जाता है, और कभी-कभी वह फ्लाइट में झपकी लेकर अपनी थकान मिटा लेते हैं।
हालांकि, महीने में चार दिन वह लंदन में रुकते भी हैं, लेकिन बाक़ी दिनों में वह हर सुबह जर्मनी से उड़ान भरते हैं और हर रात वहीं लौटते हैं।