इस मंदिर में शाम के बाद नहीं रुकता कोई, जिसने भी की रूकने की गलती वो गया पत्थर

हमारे देश में लाखों मंदिर हैं जहां भक्त पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इनमें से कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो मनोकामना पूरी करने के लिए नहीं बल्कि किसी और वजह से मशहूर है। दरअसल, यह मंदिर इसलिए मशहूर है क्योंकि शाम के बाद यहां रुकने वाला हर जीव पत्थर का बन जाता है। यह मंदिर राजस्थान में स्थित है जिसे किराडू मंदिर के नाम से जाना जाता है।
आपको बता दें कि राजस्थान का यह मंदिर कई रहस्यों से भरा हुआ है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शाम ढलने के बाद गलती से भी यहां रुकता है वह हमेशा के लिए पत्थर का बन जाता है। यह मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। मंदिर का नाम किराडू मंदिर है। वैसे तो इस मंदिर में बहुत से लोग आते हैं, लेकिन शाम होने से पहले ही सभी चले जाते हैं। इसके पीछे की वजह बेहद डरावनी है. यहां माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सूर्यास्त के बाद इस मंदिर में रुकता है वह हमेशा के लिए पत्थर का बन जाता है।
इस बात के पीछे एक साधु का श्राप माना जाता है। लोगों का कहना है कि शाम के बाद आज तक वहां से कोई नहींधरती पर ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में आज तक पता नहीं चल पाया है। उत्तराखंड में माता का एक ऐसा मंदिर है, जिसका रहस्य आज भी हर किसी को हैरान कर देता है। हमारे देश में हजारों मंदिर हैं। सभी मंदिर प्राचीन काल के हैं। इनमें से कई रहस्यमयी मंदिर माने जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
इस मंदिर का नाम धारा देवी मंदिर है। इसे रहस्यमयी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मंदिर की मूर्ति दिन में कई बार रंग बदलती है। दरअसल, उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किमी दूर स्थित यह मंदिर हर दिन एक चमत्कार का गवाह बनता है। इस मंदिर का चमत्कार देखकर लोग हैरान रह जाते हैं।कहा जाता है कि मंदिर में माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप और रंग बदलती है। इस मंदिर की मूर्ति सुबह के समय एक कन्या की तरह दिखाई देती है। दोपहर में मूर्ति एक युवा महिला के रूप में बदल जाती है और शाम को मूर्ति एक बूढ़ी महिला के रूप में बदल जाती है। ये नजारा वाकई चौंकाने वाला है.
किंवदंतियों के अनुसार एक बार यह मंदिर भीषण बाढ़ में बह गया था। साथ ही उसमें मौजूद माता की मूर्ति भी बह गई. इसके बाद वह धारो गांव के पास एक चट्टान से टकराकर रुक गई. माना जाता है कि इसी दौरान मूर्ति से एक दिव्य आवाज निकली। जिन्होंने ग्रामीणों को उस स्थान पर मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया।इसके बाद गांव के लोगों ने मिलकर वहां माता का मंदिर बनवाया। पुजारियों के अनुसार मंदिर में द्वापर युग से मां धारा की प्रतिमा स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि 2013 में मां धारा के मंदिर को तोड़ दिया गया था और उनकी मूर्ति को उसके मूल स्थान से हटा दिया गया था, जिसके कारण उस वर्ष उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ आई और हजारों लोग मारे गए। 16 जून 2013 की शाम को धारा देवी की मूर्ति हटा दी गई और कुछ घंटों बाद राज्य में आपदा आ गई। बाद में उसी स्थान पर दोबारा मंदिर बनाया गया।