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भारत के इन 5000 साल पुराने मंदिरों में छिपा है खौफनाक रहस्य, आज तक कोई नहीं सुलझा पाया 

इसका चमत्कारी ही नहीं रहस्यमय महत्व भी है। इनमें से कई मंदिर ऐसे भी हैं जिनमें चमत्कार और रहस्यमयी घटनाएं साफ तौर पर देखी जा सकती हैं.....

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इसका चमत्कारी ही नहीं रहस्यमय महत्व भी है। इनमें से कई मंदिर ऐसे भी हैं जिनमें चमत्कार और रहस्यमयी घटनाएं साफ तौर पर देखी जा सकती हैं। जहां एक ओर देवी-देवताओं में आस्था रखने वाले लोग इसे ईश्वर की कृपा मानते हैं, वहीं वैज्ञानिकों के लिए यह आश्चर्य और शोध का विषय है। ऐसे में आज हम आपको उन 5 मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके रहस्यों ने वैज्ञानिकों की भी जानकारी को मात दे दी है और आज भी उन रहस्यों से पर्दा नहीं उठ पाया है।

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माँ कामाख्या देवी का मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी के पास स्थित है। यह चमत्कारी मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। लेकिन प्राचीन मंदिर में देवी भगवती की एक भी मूर्ति नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काटा तो उनके शरीर का एक हिस्सा कामाख्या में गिर गया। जिस स्थान पर माता सती के अंग गिरे उसे शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां कोई मूर्ति नहीं है बल्कि मां सती के शरीर के हिस्सों की पूजा की जाती है।

कामाख्या मंदिर को शक्ति-साधना का केंद्र माना जाता है। यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती है। इसी वजह से इस मंदिर का नाम कामाख्या पड़ा। यह मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है। इसके पहले हिस्से में हर किसी को जाने की इजाजत नहीं है. दूसरा भाग माता के दर्शन का है। यहां एक पत्थर से हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस पत्थर से महीने में एक बार खून निकलता है। ऐसा क्यों और कैसे हो रहा है? इसके बारे में वैज्ञानिक आज तक पता नहीं लगा पाए हैं।

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हिमाचल प्रदेश की कालीधार पहाड़ियों के बीच माता ज्वाला देवी का प्रसिद्ध ज्वालामुखी मंदिर है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती की जीभ गिरी थी। मान्यताओं के अनुसार ज्वालामुखी मंदिर में माता सती की जीभ के प्रतीक के रूप में धरती से ज्वाला निकलती है। यह ज्योति नौ रंगों की होती है। यहां से निकलने वाली नौ रंगों की ज्वालाओं को देवी शक्ति के नौ रूप माना जाता है। यह ज्योति महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी का रूप है। मंदिर से निकलने वाली आग की लपटें कहां से आती हैं और उनका रंग कैसे बदलता है? इस बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. मुस्लिम शासकों ने कई बार इस ज्वाला को बुझाने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

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