दुनिया रहस्यों से भरी हुई है। कई रहस्य आज भी विज्ञान और तर्क की सीमाओं से परे हैं। यूरोप में हाल ही में एक ऐसा रहस्य दोबारा सामने आया है, जिसने लोगों को डर और आश्चर्य दोनों में डाल दिया है। यह रहस्य है – हंगर स्टोन्स यानी भूख के पत्थर का, जो मध्य यूरोप की नदियों में जलस्तर कम होने पर दिखाई देते हैं। इन पत्थरों को देखकर लोग मानते हैं कि यह भविष्य में किसी आपदा या कठिन समय की चेतावनी हैं।
क्या हैं हंगर स्टोन्स?
हंगर स्टोन्स दरअसल नदी के तली में मौजूद बड़े पत्थर हैं, जो केवल तब दिखाई देते हैं जब नदी का जलस्तर बहुत अधिक गिर जाता है। ये पत्थर मुख्य रूप से चेक रिपब्लिक और जर्मनी की सीमा पर बहने वाली एल्बे नदी में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ पत्थरों पर सैकड़ों साल पुरानी तारीखें और चेतावनियां खुदी हुई हैं।
इनमें से एक पत्थर पर जर्मन भाषा में लिखा गया है – “Wenn du mich siehst, dann weine”, जिसका मतलब होता है – “जब मुझे देखो, तो रोओ।” यह पंक्ति संकेत देती है कि जब ये पत्थर दिखाई देते हैं, तब समाज या देश किसी बड़ी समस्या से गुजरता है – जैसे सूखा, अकाल, युद्ध या महामारी।
पत्थरों की भयावह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हंगर स्टोन्स पर खुदी कुछ तारीखें 1616, 1707, 1811 और 1904 जैसी पुरानी हैं। ये सभी वर्ष ऐसे समय थे जब यूरोप में भीषण सूखे और फसलों की बर्बादी ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया था। इन पत्थरों का दिखना इसलिए लोगों के लिए भविष्य में संकट का संकेत बन चुका है।
वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की वजह से यूरोप के कई हिस्सों में पानी की भारी कमी देखी जा रही है और एल्बे नदी में जलस्तर फिर से गिरा है, जिससे हंगर स्टोन्स फिर से सतह पर दिखने लगे हैं। वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए यह गंभीर जल संकट का प्रतीक है, जबकि आम लोग इसे एक अलौकिक चेतावनी के रूप में देखते हैं।
भारत के रहस्यमयी संकेत
ऐसे रहस्यमयी संकेत भारत में भी मौजूद हैं। हमारे देश में कई मंदिर हैं जो आज भी वैज्ञानिक रहस्यों से परे प्रतीत होते हैं। दक्षिण भारत का कलैसनाथर मंदिर, या फिर ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर – ये सभी ऐसे रहस्य छिपाए हुए हैं, जिनका आज तक कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है।
भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर में घंटियों की आवाज, प्रसाद की गणना, और देवता के ह्रदय की धड़कन तक को लेकर अनेक दावे और रहस्य जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा राजस्थान के करनी माता मंदिर में हजारों चूहों का पूजनीय होना या उत्तराखंड के जागेश्वर धाम में स्वतः ज्योति जलना – ये सब संकेत करते हैं कि प्रकृति, आस्था और चेतावनी का रिश्ता बहुत पुराना है।
चेतावनी या इत्तेफाक?
यह सवाल हमेशा बना रहेगा कि क्या ये पत्थर केवल प्राकृतिक जल संकट का संकेत हैं या वाकई कोई दिव्य चेतावनी। हालांकि, इतना तो तय है कि हंगर स्टोन्स जैसे संकेत हमारे लिए एक चेतावनी की तरह काम करते हैं – पर्यावरण से छेड़छाड़ और जलवायु परिवर्तन का परिणाम अब हमारे सामने है।
निष्कर्ष
हंगर स्टोन्स हमें अतीत की घटनाओं की याद दिलाते हैं और भविष्य की संभावित त्रासदी के प्रति आगाह करते हैं। चाहे वह विज्ञान की दृष्टि से जल स्तर मापन का उपकरण हो या आस्था से जुड़ी चेतावनी, यह एक सशक्त प्रतीक है जो इंसानों को उनकी सीमाओं का अहसास कराता है।
आज जब हम आधुनिकता की दौड़ में प्रकृति को अनदेखा कर रहे हैं, तब ये पत्थर एक बार फिर हमें याद दिला रहे हैं –
“जब मुझे देखो, तो रोओ – क्योंकि समय फिर संकट का है।”

