दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट लेकिन कैलाश की चोटी तक पहुंचने में क्यों कांप जाते है लोगों के कदम ? आजतक अनसुलझा है रहस्य

कुछ समय पहले कैलाश पर्वत पर ओम की आकृति न होने की खबर सुर्खियों में थी। इस पर्वत को लेकर कई रहस्य हैं जहां लोग दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ते हैं, लेकिन कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं? यह एक ऐसा सवाल है जो सदियों से लोगों के मन में उठता रहा है। दोनों ही पर्वत अपनी-अपनी खासियत के लिए जाने जाते हैं। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना एक चुनौतीपूर्ण काम माना जाता है, जबकि ऐसा कहा जाता है कि कैलाश मानसरोवर पर आज तक कोई भी चढ़ाई शुरू नहीं कर पाया है। ऐसे में आइए आज इसका रहस्य जानते हैं।
माउंट एवरेस्ट और माउंट कैलाश की ऊंचाई कितनी है?
आपको बता दें कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई जहां 8,848.86 मीटर है, वहीं माउंट कैलाश की ऊंचाई 6,638 है। माउंट एवरेस्ट जहां दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है, वहीं माउंट कैलाश हिमालय के सबसे ऊंचे हिस्सों में से एक है। माउंट कैलाश तिब्बत के सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह मानसरोवर और राक्षसताल झीलों के पास है। तो फिर पर्वतारोहियों के लिए कैलाश पर्वत पर चढ़ना सबसे कठिन क्यों है। आइए जानते हैं।
क्या हैं दिक्कतें?
कैलाश पर्वत की ऊंचाई करीब 6,638 मीटर है, जो एवरेस्ट से भी कम है, लेकिन इस पर चढ़ना बेहद मुश्किल है। यहां की भौगोलिक संरचना, जलवायु और अत्यधिक ऊंचाई के कारण पर्वतारोहियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन जाती है। कैलाश पर्वत पर चढ़ना अक्सर बर्फबारी और तेज हवाओं के साथ होता है, जो इसे और भी खतरनाक बना देता है। इसके अलावा इस क्षेत्र की प्राकृतिक विशेषताएं और पत्थरों की संरचना भी चढ़ाई को मुश्किल बनाती है।
ये है धार्मिक महत्व
कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव का निवास माना जाता है। इसके अलावा बौद्ध धर्म में इसे 'कांता' के रूप में पूजा जाता है। जैन धर्म के अनुयायी भी इसे एक पवित्र स्थान मानते हैं। इसके चारों ओर की यात्रा, जिसे 'कैलाश परिक्रमा' कहा जाता है, न केवल भक्ति का एक हिस्सा है बल्कि यह आत्मा की शुद्धि का भी एक साधन है। धार्मिक मान्यताओं के कारण इसे 'अविनाशी' पर्वत माना जाता है और इसीलिए कोई भी इस पर चढ़ने की हिम्मत नहीं करता।
कई मानसिक और शारीरिक चुनौतियाँ हैं
कैलाश पर्वत पर चढ़ने का एक और महत्वपूर्ण पहलू मानसिक तैयारी है। पर्वतारोहण न केवल शारीरिक शक्ति की परीक्षा है, बल्कि यह मानसिक शक्ति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कैलाश पर्वत पर चढ़ने के लिए व्यक्ति को न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, बल्कि उसे मानसिक रूप से भी तैयार होना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के कारण यहाँ की यात्रा का एक आध्यात्मिक पहलू भी जुड़ा हुआ है, जो व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रभावित कर सकता है।
जानिए वैज्ञानिक कारण
कैलाश पर चढ़ने की कोशिश कई लोगों ने की है, लेकिन कोई भी अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सका। कैलाश पर्वत को ब्रह्मांड और पृथ्वी के बीच का केंद्र माना जाता है। कैलाश पर्वत का वातावरण एवरेस्ट के वातावरण से भी अधिक कठिन माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश पर्वत पर चुंबकीय क्षेत्र अधिक सक्रिय है, यही कारण है कि इसका वातावरण किसी भी अन्य स्थान के वातावरण से अलग लगता है और इससे इसकी चढ़ाई और भी कठिन हो जाती है।
अब तक कौन कैलाश पर्वत पर चढ़ पाया है?
कहा जाता है कि 11वीं सदी में तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कैलाश पर्वत पर चढ़ने में सफल रहे थे। ऐसा करने वाले वे दुनिया के एकमात्र व्यक्ति बन गए। कैलाश पर्वत पर चढ़ने के बाद वे जीवित वापस लौट आए। हालांकि समय-समय पर कई लोगों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका।