
जन्म देती है। साउथ ब्राजील से सामने आया एक ऐसा ही मामला दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसने न सिर्फ विज्ञान और चिकित्सा जगत को हैरान कर दिया, बल्कि लाखों दिलों को भी छू लिया।
यह चमत्कारी घटना ब्राजील की एक महिला सिल्वा के साथ घटी, जो एक दुर्घटना के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दी गईं थीं। लेकिन उनकी यह स्थिति एक नए जीवन की वजह बन गई — वह भी एक नहीं बल्कि दो नवजीवनों की।
कैसे हुआ चमत्कार?
सिल्वा एक साधारण गृहिणी थीं। एक दिन अचानक दुर्घटना का शिकार होने के बाद उन्हें गंभीर ब्रेन स्ट्रोक हुआ। हालत बिगड़ने पर उनके पति ने उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। कई जाँचों के बाद डॉक्टरों ने बताया कि सिल्वा का ब्रेन पूरी तरह डेड हो चुका है और वह कोमा की स्थिति में हैं।
आम तौर पर ब्रेन डेड को चिकित्सकीय रूप से मृत्यु ही माना जाता है, क्योंकि मस्तिष्क का कार्य पूरी तरह बंद हो जाता है। लेकिन इसी दौरान एक और हैरान कर देने वाली बात सामने आई — सिल्वा गर्भवती थीं और उनके गर्भ में 9 हफ्ते का बच्चा पल रहा था।
डॉक्टरों का साहसिक निर्णय
जब डॉक्टरों को यह पता चला, तो उन्होंने एक कठिन लेकिन इंसानियत और उम्मीद से भरा फैसला लिया। सिल्वा को वेंटिलेटर पर रखा गया और उनके सभी अंगों की निगरानी रखी गई ताकि भ्रूण को विकसित होने के लिए जरूरी परिस्थितियाँ मिल सकें।
इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए कई विभागों की डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई जिसमें न्यूरोलॉजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन और एनेस्थेटिस्ट शामिल थे। इस पूरे समय के दौरान सिल्वा को कृत्रिम तरीके से जीवित रखा गया।
123 दिन बाद जन्मे जुड़वां बच्चे
दिन-ब-दिन सिल्वा के शरीर की देखभाल होती रही। किसी को भी पूरी उम्मीद नहीं थी कि भ्रूण सुरक्षित रह पाएंगे, लेकिन मेडिकल टीम के समर्पण और तकनीकी निगरानी के चलते यह चमत्कारिक रूप से संभव हो पाया।
123 दिनों तक ब्रेन डेड हालत में रहने के बाद, सिल्वा ने ऑपरेशन के माध्यम से जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। यह अपने आप में दुनिया के उन गिने-चुने मामलों में शामिल हो गया जब एक मृतप्राय महिला ने सफलतापूर्वक बच्चों को जन्म दिया हो।
पति और परिवार की भावनात्मक प्रतिक्रिया
सिल्वा के पति की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने कहा,
"मुझे नहीं लगता था कि मेरी पत्नी के बिना मेरे बच्चे दुनिया में आ पाएंगे, लेकिन ईश्वर ने और डॉक्टरों ने मिलकर चमत्कार कर दिखाया। यह मेरे लिए दुबारा जीवन पाने जैसा है।"
बच्चों का भविष्य और मेडिकल जांच
बच्चों का जन्म समय से कुछ पहले हुआ था, इसलिए उन्हें नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में रखा गया है। डॉक्टरों के अनुसार दोनों बच्चे स्वस्थ हैं और उनके अंग सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं।
हालांकि आने वाले समय में उनकी मस्तिष्कीय और शारीरिक विकास की जांच होती रहेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अन्य सामान्य बच्चों की तरह बढ़ पा रहे हैं या नहीं।
दुनिया भर में प्रशंसा
इस घटना ने दुनियाभर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। चिकित्सा विशेषज्ञ इसे एक "जीवित चमत्कार" बता रहे हैं। यह मेडिकल क्षेत्र में नैतिकता, तकनीक और भावना तीनों का बेमिसाल संगम है।