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अजब-गजब: पति के जिंदा होते हुए भी 5 महीने विधवा जैसी जिंदगी जीती हैं ये महिलाएं, वजह जान रह जाएंगे हैरान

हमारे देश में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रीति रिवाज और परंपराएं देखने को मिलती हैं। कई रीति रिवाज औ...........
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अजब गजब न्यूज डेस्क !!! हमारे देश में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रीति रिवाज और परंपराएं देखने को मिलती हैं। कई रीति रिवाज और परंपराएं इतनी अजीबोगरीब होती हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक अनोखी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। भारत में किसी भी शादीशुदा महिला के लिए सुहाग की निशानियां जैसे मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर बहुत जरूरी माना जाता है। लेकिन एक समुदाय ऐसा भी है, जहां महिलाएं सुहागन होते हुए भी हर साल विधवा बन जाती हैं।

हिंदू धर्म में शादी के बाद एक सुहागिन स्त्री को सिंदूर, बिंदी, महावर, मेहंदी जैसी चीजों से श्रृंगार करना जरूरी माना जाता है। माना जाता है कि स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए ही सोलह श्रृंगार करती है और उनके लिए व्रत रखती हैं लेकिन एक समुदाय ऐसा भी है जहां की महिलाएं पति के जीवित होते हुए भी हर साल कुछ समय के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं गछवाहा समुदाय' की। इस समुदाय की महिलाएं लंबे समय से इस रिवाज का पालन करती आ रही हैं।

UP: यहां 4 हजार से ज्यादा महिलाएं 'सुहागिन' से बन जाती हैं 'विधवा', मामला  जान हो जाओगे हैरान | Gonda four thousand women taking widow pension husband  ration Revealed through Aadhar card stwma

स समुदाय की महिलाएं पति के जिंदा होते हुए भी हर साल 5 महीने के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं। यहां की महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए हर साल विधवाओं की तरह रहती हैं। गछवाहा समुदाय के लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहते हैं।दरअसल, इस समुदाय के आदमी पांच महीने तक पेड़ों से ताड़ी उतारने का काम करते हैं। इसी दौरान महिलाएं विधवाओं की तरह जिंदगी जीती हैं। ये वही महिलाएं होती हैं, जिनके पति ताड़ी उतारने जाते हैं। इस वक्त महिलाएं न तो सिंदूर लगाएंगी और न ही माथे पर बिंदी लगाती हैं। इसके अलावा वह किसी तरह का कोई श्रृंगार भी नहीं करतीं।

बता दें कि गछवाहा समुदाय में तरकुलहा देवी को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। जब समुदाय के सभी पुरुष ताड़ी उतारने का काम करते हैं तो उनकी पत्नियां अपना सारा श्रृंगार देवी के मंदिर में रख देती हैं। बता दें कि कि जिन पेड़ों (ताड़ के पेड़) से ताड़ी उतारी जाती है वे बहुत ही ऊंचे होते हैं और जरा सी भी चूक होने पर इंसान पेड़ से नीचे गिर सकता है और इससे उसकी मौत हो सकती है। इसलिए यहां की महिलाएं कुलदेवी से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और श्रृंगार को उनके मंदिर में रख देती हैं। इस समुदाय के लोगों का ऐसा मानना है कि महिलाओं द्वारा कुलदेवी को समर्पित किए गए अपने श्रृंगार के सामना से कुलदेवी प्रसंन्न हो जाती है और उनके पति कई महीनों के काम के बाद सकुशल लौट आते हैं।

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