मानसरोवर और राक्षस ताल! एक ही स्थान पर स्थित ये दो झीलें क्यों हैं एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत? वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

इस साल 30 जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने जा रही है। इस यात्रा के दौरान लोग कैलाश दर्शन के साथ-साथ मानसरोवर झील और राक्षस ताल भी देखने जाते हैं। ये दोनों झीलें 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और दोनों का वातावरण एक जैसा है। इसके बावजूद राक्षस ताल और मानसरोवर झील में कई अंतर देखने को मिलते हैं। तिब्बत के लोग राक्षस ताल को शापित झील और मानसरोवर को पवित्र झील मानते हैं। हिंदू धर्म में भी यही मान्यता है। हालांकि, वैज्ञानिकों के लिए यह जिज्ञासा का विषय है कि समान परिस्थितियां होने के बावजूद ये दोनों झीलें अलग-अलग क्यों हैं। आइए जानते हैं मानसरोवर झील और राक्षस ताल से जुड़े रहस्य और अंतर के बारे में।
धार्मिक मान्यताएं
कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान लोग मानसरोवर झील के पास ध्यान लगाते हैं, यहां पूजा-अर्चना करते हैं। इस झील का पानी पीने के लिए कतारें लगती हैं। वहीं, राक्षस ताल के ज्यादा करीब कोई नहीं जाता। राक्षस ताल का पानी बहुत ही अशांत और मन को विचलित करने वाला माना जाता है। बौद्ध धर्म में मानसरोवर झील प्रकाश का प्रतीक है और राक्षस ताल अंधकार का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार मानसरोवर झील भगवान शिव और माता पार्वती की झील है। जबकि राक्षस ताल का संबंध रावण से माना जाता है। इसलिए राक्षस ताल को रावण ताल भी कहा जाता है। मानसरोवर झील के बीच में कोई द्वीप नहीं है, जबकि राक्षस ताल के पास डोला, दोशारबा, लचाटो नाम के द्वीप हैं।
मानसरोवर झील | राक्षस ताल |
पविवत्रता और प्रकाश का प्रतीक | अपवित्रता और अंधकार का प्रतीक |
देवताओं का स्नान स्थल | असुरों का निवास स्थान |
मानसरोवर झील का पानी मीठा और पीने योग्य | राक्षस ताल का पानी अत्यधिक खारा है, पीने योग्य नहीं |
यह झील हिमालय से बहने वाली जल धाराओं से बनी है | यह झील हिमपात के पिघलने और भूमिगत जल से बनी है |
इस झील का रंग साफ और नीला है | राक्षस ताल का पानी गहरा नीला और बार-बार रंग बदलता है |
यह झील पूजा, स्नान और ध्यान साधना के लिए प्रसिद्ध है | राक्षस ताल को बस दूर से देख सकते हैं, इसके निकट जाना और यहां स्नान करना वर्जित |
मानसरोवर झील में मछलियां और अन्य जलीय जीवन देखे जाते हैं | राक्षस ताल में कोई भी जलीय जीव नहीं दिखता, इसके आसपास वनस्पति भी नहीं होती |
इसका संबंध शिव-पार्वती, ब्रह्मा, सकारात्मकता, शांति और सूर्य से है | इसका संबंध नकारात्मकता, अशुद्धता, अंधकार, चंद्रमा और रावण से है |
एक ही स्थान पर होने के बाद भी ये झीलें अलग-अलग क्यों हैं?
मानसरोवर झील और राक्षस ताल एक ही वातावरण और एक ही ऊंचाई पर होने के बावजूद बिल्कुल अलग हैं। प्राचीन काल से ही लोग यह जानना चाहते थे कि एक ही स्थान पर होने के बावजूद ये दोनों झीलें इतनी अलग क्यों हैं। हालांकि, इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है, यहां तक कि विज्ञान भी इस पहेली को नहीं सुलझा पाया है। बौद्ध और हिंदू धर्म ग्रंथों में राक्षस ताल को आसुरी शक्ति का प्रतीक माना जाता है और मानसरोवर झील को दैवीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस बात का जवाब वहां पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आखिर दोनों में इतना अंतर क्यों है। हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखा है कि रावण ने राक्षस ताल में डुबकी लगाई थी और इसी झील के पास भगवान शिव की पूजा की थी। रावण के इस जल में स्नान करने के कारण राक्षस ताल नकारात्मक ऊर्जाओं से भर गया था। हालांकि विज्ञान धर्म ग्रंथों में बताए गए तथ्यों को नहीं मानता है, लेकिन विज्ञान भी इस बात का जवाब नहीं दे पाया है कि एक ही स्थान पर होने के बावजूद मानसरोवर और राक्षस ताल में इतना अंतर क्यों है।