सोने से भी महंगा आम! सिक्योरिटी में भाला लेकर मुस्टंडे तैनात, जानिए क्या है 'मियाजाकी' की खासियत?

वाराणसी के चोलापुर ब्लॉक के बबियांव गांव में एक अनोखी नर्सरी इन दिनों सुर्खियों में है। यहां न तो हीरे-जवाहरात रखे हैं, न ही कोई खजाना, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं। कारण है—दुनिया का सबसे महंगा आम मियाजाकी जो यहां उगाया जा रहा है। इस आम की कीमत बाजार में 2 से 3 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक बताई जाती है। यही वजह है कि इसकी सुरक्षा में 24 घंटे दो सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
जापान से वाराणसी तक का सफर
मियाजाकी आम की यह दुर्लभ प्रजाति मूलतः जापान के मियाजाकी क्षेत्र से ताल्लुक रखती है। साल 2021 में इसे वाराणसी के किसान शैलेंद्र कुमार रघुवंशी ने जापान से मंगवाया। यह प्रक्रिया आसान नहीं थी—शैलेंद्र को न सिर्फ भारी लागत उठानी पड़ी, बल्कि पौधे को भारत लाने में प्रशासनिक और तकनीकी अड़चनों का भी सामना करना पड़ा।
छह महीने के विशेष संरक्षण के बाद दिसंबर 2021 में इन पौधों का रोपण किया गया। अब, तीन साल बाद, इन पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं और आसपास के गांवों से लेकर दूर-दराज से लोग इन्हें देखने आ रहे हैं।
मियाजाकी की खासियत क्या है?
मियाजाकी आम अपने गहरे लाल रंग, अंडाकार आकार और पोषक तत्वों से भरपूर स्वाद के लिए जाना जाता है। इसका रंग बिल्कुल सूर्योदय की तरह होता है, जो इसे अन्य आमों से अलग करता है। ऐसा बताया जाता है कि इस प्रजाति के आम में कई ऐसे मिनरल्स पाए जाते हैं जो भारत में मिलने वाले आमों में नहीं मिलते।
शैलेंद्र बताते हैं कि आम के टेस्टिंग के बाद ही यह पूरी तरह से स्पष्ट हो सकेगा कि भारतीय मिट्टी और मौसम में इन मिनरल्स की उपस्थिति बरकरार रह सकी है या नहीं।
सुरक्षा में कोई कोताही नहीं
शैलेंद्र ने मियाजाकी आम की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल उनके पास इस प्रजाति के 120 पौधे हैं, जिनमें से हर एक पौधे की कीमत ₹1000 तक है। इन पौधों की देखभाल और सुरक्षा के लिए दो सुरक्षाकर्मियों को 24 घंटे तैनात किया गया है। साथ ही पूरे क्षेत्र की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
इन पौधों की निगरानी करने वाले कृष्ण कुमार ने बताया कि वह और उनके एक सहयोगी लगातार इन पौधों की सुरक्षा में लगे रहते हैं ताकि कोई भी अनजान व्यक्ति इन पौधों के पास न पहुंच सके।
उत्सुकता से खिंचे चले आ रहे हैं ग्रामीण
मियाजाकी आम की खबर जैसे ही गांव और आसपास के इलाकों में फैली, लोगों में इसे देखने की उत्सुकता बढ़ गई। बबियांव गांव के ही निवासी विजय कुमार रघुवंशी ने बताया कि जब उन्हें इस अनोखी खेती के बारे में समाचार माध्यमों से जानकारी मिली, तो वे खुद इसे देखने चले आए। उन्होंने किसान शैलेंद्र की इस नई और अनोखी पहल की जमकर सराहना की और कहा कि जो चीजें हम सपने में सोचते हैं, उन्हें शैलेंद्र ने गांव में ला कर दिखा दिया है।
एक मिसाल बनते जा रहे हैं शैलेंद्र
किसान शैलेंद्र कुमार रघुवंशी अब क्षेत्र में एक मिसाल बनते जा रहे हैं। जहां एक ओर किसान पारंपरिक खेती में ही सीमित रह जाते हैं, वहीं शैलेंद्र ने अंतरराष्ट्रीय किस्म की खेती कर एक नया उदाहरण पेश किया है। उनका यह प्रयास न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभदायक हो सकता है, बल्कि भविष्य में अन्य किसानों को भी नई राह दिखा सकता है।
निष्कर्ष
बबियांव गांव की यह अनोखी नर्सरी अब चर्चा का केंद्र बन चुकी है। मियाजाकी आम की यह खेती न सिर्फ एक खेती की कहानी है, बल्कि यह नवाचार, जज़्बे और मेहनत का उदाहरण भी है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो आने वाले समय में भारत के अन्य हिस्सों में भी इस आम की खेती का रुझान देखा जा सकता है। फिलहाल तो यह निश्चित है कि दुनिया का सबसे महंगा आम अब भारत की मिट्टी में भी अपनी मिठास बिखेरने को तैयार है।