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अमेरिका के राष्ट्रपति ट्‌रंप की पूजा करता है ये शख्स, मंदिर में लगाई है तस्वीर

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भारत में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना आम बात है। यहां लोग श्रद्धा और आस्था से भगवान की आरती करते हैं, मंदिरों में धूप-दीप जलाते हैं और भक्ति भाव से प्रार्थना करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी इंसान को किसी देश के राष्ट्रपति की पूजा करते देखा है? शायद नहीं! मगर तेलंगाना में एक ऐसा शख्स है, जो रोज अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आरती करता है, उन्हें भगवान मानकर पूजता है और उनके नाम की धूपबत्ती जलाता है।

कौन है ये शख्स?

यह अनोखा इंसान है बुसा कृष्णा, जो तेलंगाना के जलगांव जिले में रहता है। बुसा कृष्णा ने अपने घर में एक अलग मंदिर बनाया है, जिसमें देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप की एक बड़ी तस्वीर भी रखी गई है। कृष्णा प्रतिदिन उस तस्वीर के सामने बैठकर भक्ति भाव से पूजा करते हैं और आरती गाते हैं।

कृष्णा का कहना है कि उनके लिए डोनाल्ड ट्रंप किसी भगवान से कम नहीं हैं। वे ट्रंप को अपना आदर्श और रक्षक मानते हैं और हर दिन उनकी तस्वीर की आरती कर आशीर्वाद मांगते हैं। वे मानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप भारत और भारतीयों के सच्चे हितैषी हैं।

पूजा की शुरुआत कैसे हुई?

बुसा कृष्णा ने ट्रंप की पूजा तब शुरू की जब अमेरिका में भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचिभोटला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह घटना 2017 में अमेरिका के कंसास राज्य के ओलाथे शहर के ऑस्टिन्स बार एंड ग्रिल में हुई थी। श्रीनिवास की हत्या ने दुनियाभर में भारतीयों को झकझोर दिया था।

इस घटना के बाद बुसा कृष्णा ने महसूस किया कि अमेरिकी समाज में नस्लवाद और हिंसा के खिलाफ कोई कड़ा रुख अपनाने की ज़रूरत है। उन्हें उम्मीद थी कि ट्रंप कुछ कदम उठाएंगे और उन्होंने श्रद्धा से उनके नाम की पूजा करना शुरू कर दी।

रोज होती है आरती

कृष्णा ट्रंप की तस्वीर को फूलों से सजाते हैं, उनके सामने अगरबत्ती जलाते हैं और आरती उतारते हैं। वे उन्हें किसी ईश्वर की तरह सम्मान देते हैं। उन्होंने एक बार कहा था, "मैं हर दिन ट्रंप की पूजा करता हूं क्योंकि वो मेरी प्रेरणा हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी यह श्रद्धा एक दिन ट्रंप तक पहुंचे और मैं उनसे मिल सकूं।"

लोगों की प्रतिक्रिया

जहां कुछ लोग कृष्णा की आस्था को eccentric (अजीब) या हास्यास्पद मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे एक व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था और स्वतंत्रता मानते हैं। गांव में भी इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। कुछ लोग उन्हें पागल कहते हैं, तो कुछ लोग उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ ट्रंप के ‘भक्त’ के रूप में स्वीकारते हैं।

सोशल मीडिया और चर्चा

बुसा कृष्णा की यह अनोखी आस्था सोशल मीडिया और खबरों में खूब वायरल हुई। भारत और अमेरिका दोनों में इस घटना ने लोगों का ध्यान खींचा। कई समाचार चैनलों ने उनके घर जाकर उनका इंटरव्यू लिया, जहां उन्होंने खुलकर बताया कि ट्रंप के प्रति उनकी आस्था किस तरह पनपी और क्यों वह उनके लिए भगवान तुल्य हैं।

क्या कृष्णा की इच्छा पूरी हुई?

बुसा कृष्णा की यह इच्छा थी कि एक दिन डोनाल्ड ट्रंप तक उनकी श्रद्धा की खबर पहुंचे और वे ट्रंप से मुलाकात कर सकें। हालांकि, खबरों के अनुसार, उनके जीवनकाल में ट्रंप तक उनकी भक्ति की बात पहुंची जरूर, लेकिन दोनों की मुलाकात संभव नहीं हो पाई। दुखद बात यह है कि 2020 में बुसा कृष्णा का निधन हो गया। उनका अंतिम सपना अधूरा ही रह गया।

निष्कर्ष

बुसा कृष्णा की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आस्था की कोई सीमा नहीं होती। भले ही यह एक राजनेता की ओर क्यों न हो, अगर किसी इंसान को उससे प्रेरणा मिलती है, तो वह भी एक प्रकार की भक्ति ही है। बुसा कृष्णा जैसे लोग हमें याद दिलाते हैं कि श्रद्धा केवल मूर्तियों तक सीमित नहीं होती — यह भावनाओं, विश्वास और उम्मीदों का रूप होती है, जो कभी-कभी ऐसे रूपों में भी सामने आती है जो समाज के लिए नया अनुभव बन जाती है।

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