भारत के इस चमत्कारी मंदिर में आज भी रहते हैं भगवान विष्णु, यहां की अकूत दौलत देखकर दुनिया रह गई थी दंग

एक समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। यहां के हर मंदिर और तीर्थस्थल में इतना सोना और धन होने की बातें होती थीं, जिसके बारे में सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है। आइए आपको देश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां इतनी अपार संपत्ति और सोना निकला कि पूरी दुनिया हैरान रह गई। एक समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। यहां के हर मंदिर और तीर्थस्थल में इतना सोना और धन होने की बातें होती थीं, जिसके बारे में सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है। लेकिन आइए आपको देश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां अपार धन-संपत्ति और सोना है। यह मंदिर कुछ वर्ष पहले अपने अपार खजाने के कारण पूरी दुनिया में चर्चा में था। आइए आपको बताते हैं भगवान विष्णु का यह मंदिर कहां स्थित है और इस मंदिर का इतिहास क्या है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु का एक प्रसिद्ध मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुवनंतपुरम के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर अपने खजाने के लिए लगातार चर्चा में रहता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर का निर्माण त्रावणकोर के राजाओं द्वारा किया गया था। इसका उल्लेख 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी मिलता है, लेकिन मंदिर का वर्तमान स्वरूप 18वीं शताब्दी में बना था। सन् 1750 में महाराज मार्तण्ड वर्मा ने अपना परिचय पद्मनाभ दास के रूप में दिया। इसके बाद राजपरिवार ने स्वयं को भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया।
ऐसा माना जाता है कि इसी कारण से त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी संपत्ति पद्मनाभ मंदिर को सौंप दी थी। त्रावणकोर के राजाओं ने 1947 तक शासन किया। स्वतंत्रता के बाद इसका भारत में विलय हो गया, लेकिन सरकार ने पद्मनाभ स्वामी मंदिर को अपने कब्जे में नहीं लिया। इसे त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहने दिया गया।
तब से पद्मनाभ स्वामी मंदिर का काम शाही परिवार के अधीन एक निजी ट्रस्ट द्वारा चलाया जा रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जब भारत सरकार हैदराबाद के निजाम जैसे देश के शाही परिवारों की संपत्ति को अपने कब्जे में ले रही थी, तब संभव है कि त्रावणकोर के तत्कालीन राजा ने अपनी संपत्ति मंदिर में छिपा दी हो। मंदिर में रखे अपार धन के बारे में कई मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि पद्मनाभ स्वामी मंदिर का एक और तहखाना अभी खोला जाना बाकी है। इस तहखाने में क्या है यह अब तक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर का सातवां दरवाजा केवल कुछ मंत्र पढ़कर ही खोला जा सकता है और अगर इसे तोड़ दिया जाए तो कुछ दुर्भाग्यपूर्ण हो सकता है, जिसके कारण यह दरवाजा अब तक नहीं खोला गया है। इस मंदिर की सबसे खास बात यहां स्थित भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा है जिसमें भगवान श्री हरि शेषनाग पर शयन मुद्रा में दर्शन दे रहे हैं।
आपको बता दें कि वर्ष 2011 में इस मंदिर से भारी मात्रा में सोने के आभूषण, सोने-चांदी के सिक्के, रत्नजड़ित मुकुट, मूर्तियां आदि मिली थीं। कुछ हार तो नौ फुट लंबे और दस किलो वजन के होते हैं। इस पूरे खजाने की कीमत करीब 5 लाख करोड़ रुपए आंकी गई थी। यहां भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति इसी स्थान से मिली थी जिसके बाद यहां मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड ने करवाया था।
मंदिर में एक स्वर्ण स्तंभ भी है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता है। मंदिर के गलियारे में कई स्तंभ बनाए गए हैं जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है जो इसकी भव्यता को बढ़ाती है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है।
केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में बैठे हैं। ऐसा माना जाता है कि तिरुवनंतपुरम नाम भगवान के नाग 'अनंत' के नाम पर रखा गया है।