दुनिया का सबसे डरावना गांव कुलधरा! क्यों कहते हैं कि यहां रात को आत्माएं करती हैं पहरा? वायरल फुटेज में देखे पूरी कहानी

राजस्थान के थार मरुस्थल में बसा कुलधरा गांव, जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लेकिन यह गांव अपनी खूबसूरत रेत की ढलानों या स्थापत्य कला के लिए नहीं, बल्कि अपने डरावने और रहस्यमयी इतिहास के लिए जाना जाता है। कुलधरा को दुनिया के सबसे भूतिया गांवों में से एक माना जाता है। सदियों से यह गांव वीरान पड़ा है और कहा जाता है कि जो भी यहां रात में ठहरता है, उसके साथ कुछ न कुछ अनहोनी घटित होती है।
सदियों पुरानी कहानी: क्यों उजड़ गया पूरा गांव?
कुलधरा गांव को लेकर जो सबसे प्रचलित कथा है, वह 1825 ईस्वी की है। इस गांव में पालिवाल ब्राह्मण समुदाय के लोग बसते थे, जो उस समय के अत्यंत समृद्ध और शिक्षित माने जाते थे। ये लोग खेती और व्यापार में माहिर थे। कहा जाता है कि जैसलमेर के तत्कालीन दीवान सालम सिंह की बुरी नजर कुलधरा की एक सुंदर कन्या पर पड़ी थी। उसने धमकी दी कि यदि उसका विवाह उससे नहीं किया गया, तो वह पूरे गांव पर कर और अत्याचारों का पहाड़ तोड़ देगा।इस अपमान और भय के बीच, कुलधरा के लोगों ने एक ऐतिहासिक और रहस्यमय निर्णय लिया। एक ही रात में पूरा गांव – लगभग 84 गांवों के साथ – रहस्यमयी तरीके से खाली हो गया। किसी को यह पता नहीं चला कि वे हजारों लोग गए कहां। और जाते-जाते उन्होंने इस जगह को शाप दे दिया कि यहां कोई कभी बस नहीं पाएगा।
शापित धरती या डर की कहानियां?
कहते हैं कि कुलधरा गांव को अलक्ष्मी का वास कहा जाता है, क्योंकि यहां कदम रखते ही अजीब-सी सन्नाटा, बेचैनी और भय का अनुभव होता है। यहां की गलियों में रात के समय पायल की आवाजें, किसी के रोने या चलने की हल्की आहटें, और अदृश्य साए महसूस किए जाते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि रात को गांव में आत्माओं का डेरा रहता है, जो किसी बाहरी को पसंद नहीं करतीं।
वैज्ञानिकों और पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की राय
कुलधरा की रहस्यात्मकता को जानने के लिए कई पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन टीमों ने रात में यहां रिसर्च की है। कई टीमों ने बताया कि यहां इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ में अचानक रुकावट, तेज़ हवाओं का बहना, और कुछ जगहों पर अचानक तापमान में गिरावट देखी गई। कुछ विदेशी यूट्यूब चैनल्स और डॉक्यूमेंट्रीज़ ने भी इस जगह को दुनिया के 10 सबसे डरावने स्थलों में शामिल किया है।
क्या है सरकार और पर्यटन विभाग का नजरिया?
आज कुलधरा गांव राजस्थान टूरिज़्म के तहत संरक्षित है। यहां प्रवेश शुल्क लिया जाता है और दिन में पर्यटक इस ऐतिहासिक स्थल को देखने आते हैं। लेकिन शाम होते ही यहां का माहौल बदल जाता है। गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड भी लगा हुआ है – "सूर्यास्त के बाद रुकना मना है।"राजस्थान सरकार ने इस जगह को एक हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है, जिसमें रात के समय भी सुरक्षित हॉरर टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है। हालांकि, स्थानीय लोगों और पुजारियों का मानना है कि जो शाप सदियों पहले दिया गया, वह आज भी उतना ही प्रभावी है।
क्या कुलधरा सिर्फ एक किंवदंती है?
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गांव को छोड़ने का कारण केवल दीवान की बुरी नजर नहीं, बल्कि पानी की कमी, व्यापार में गिरावट और सामूहिक सामाजिक बहिष्कार भी हो सकता है। परंतु इस सत्यता के पीछे छिपे रहस्य अब भी अनसुलझे हैं। आज भी कोई यह निश्चित रूप से नहीं कह सकता कि हजारों लोग रातोंरात कहां चले गए और क्यों वे कभी लौटे नहीं।