कंकवाड़ी किला! सरिस्का की घनी झाड़ियों में खड़ा एक शापित किला, जाने उन चीखों का रहस्य जो यहां हर रात गूंजती है

राजस्थान का अलवर जिला, जो अपने ऐतिहासिक वैभव, किलों और रहस्यमय स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, उसी की सरिस्का टाइगर रिजर्व की घनी झाड़ियों के बीच छुपा हुआ है एक खामोश लेकिन खौफनाक किला — कंकवाड़ी किला। यह किला जितना सुंदर और प्राचीन है, उतना ही रहस्यमय और भयावह भी। लोककथाओं और किंवदंतियों के अनुसार, यह किला शापित है और यहां रात में अजीब सी चीखें सुनाई देती हैं, जो आज तक एक रहस्य बनी हुई हैं।
इतिहास की गहराई में कंकवाड़ी किला
कहा जाता है कि कंकवाड़ी किला मुग़ल काल में बनाया गया था और इसका निर्माण मूलतः एक सैन्य चौकी के रूप में हुआ था, ताकि पास के इलाकों पर नजर रखी जा सके। लेकिन इस किले का इतिहास तब काला हो गया जब औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को यहीं कैद करवा दिया। दारा शिकोह को इसी किले में अपमानजनक परिस्थितियों में रखा गया और बाद में मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद से ही यह किला एक अभिशप्त स्थान माना जाने लगा।
रात में गूंजती रहस्यमयी चीखें
स्थानीय ग्रामीणों और सरिस्का के गाइड्स का दावा है कि हर रात इस किले के आसपास से अजीबोगरीब चीखें सुनाई देती हैं। कोई उन्हें महिला की करुण पुकार बताता है, तो कोई कहता है कि यह किले में बंद आत्माओं की चीखें हैं, जो आज भी मुक्ति की राह देख रही हैं। कई पर्यटकों और रिसर्च टीमों ने यहां रात्रि भ्रमण की कोशिश की, लेकिन भयावह अनुभवों के कारण वो सुबह तक रुक नहीं पाए।
क्या सच में शापित है यह किला?
हालांकि विज्ञान और आधुनिक सोच इन घटनाओं को महज एक भ्रम या मानसिक प्रभाव मानती है, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो किले में कई असामान्य घटनाएं होती हैं। मोबाइल नेटवर्क का अचानक गायब हो जाना, कैमरे का काम करना बंद कर देना, तेज हवा के झोंकों के साथ किले के बंद कमरों से आती आवाजें — ये सब बातें इस रहस्य को और गहरा कर देती हैं।
सरिस्का टाइगर रिजर्व के बीच खड़ा वीरान सौंदर्य
कंकवाड़ी किला एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए काफी कठिन ट्रेकिंग करनी पड़ती है। रास्ता जंगली इलाकों से होकर गुजरता है, जिसमें बाघों, तेंदुओं और अन्य जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। यही कारण है कि यह किला पर्यटकों के लिए आमतौर पर बंद रहता है और विशेष अनुमति के बाद ही इसे देखा जा सकता है। यह वीरान किला अपने आप में एक अलग ही सौंदर्य समेटे हुए है — जहां प्रकृति की गोद में इतिहास की परछाइयां झलकती हैं।
क्या है सरकार की योजना?
हाल के वर्षों में पर्यटन विभाग ने किले को संरक्षित करने और इसे एक "हेरिटेज साइट" के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। लेकिन इसके रहस्यमय अतीत और खौफनाक किस्सों के कारण यहां बड़े स्तर पर पर्यटन अभी तक विकसित नहीं हो पाया है। हालांकि, एडवेंचर टूरिज्म और पैरानॉर्मल रिसर्च से जुड़े लोगों में यह स्थान काफी लोकप्रिय हो गया है।
पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की राय
कुछ समय पहले एक पैरानॉर्मल रिसर्च टीम ने कंकवाड़ी किले का रात्रिकालीन दौरा किया था। उनके अनुसार किले के कुछ हिस्सों में अजीब ऊर्जा और कंपनों का अनुभव हुआ, जिससे यह साबित तो नहीं होता कि वहां आत्माएं हैं, लेकिन यह स्थान 'सामान्य' तो बिल्कुल नहीं है। किले के जिस हिस्से में दारा शिकोह को बंद किया गया था, वहां की दीवारों में नमी, अजीब ठंडक और रहस्यमयी खरोंच के निशान मिले।