राजस्थान का नाम लेते ही आंखों के सामने रेत के टीलों, राजसी किलों और शाही इतिहास की झलक उभरती है। लेकिन इस रंगीले राज्य के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि रहस्य और रोमांच भी बसी हुई है। इन्हीं रहस्यमयी स्थलों में शामिल है भानगढ़ का किला, जिसे लोग अक्सर "भूतों का किला" और इसके भीतर मौजूद "रहस्यमयी मंदिर" के नाम से भी जानते हैं।
रात में क्यों खतरनाक है यहां रुकना?
भानगढ़ किले के भीतर स्थित यह मंदिर देखने में तो एक आम प्राचीन मंदिर जैसा लगता है, लेकिन इसके आसपास फैली कहानियाँ इसे असाधारण बना देती हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भी यहां एक चेतावनी बोर्ड लगा रखा है, जिसमें साफ लिखा है कि सूर्यास्त के बाद इस किले और मंदिर के परिसर में प्रवेश करना सख्त मना है।
कहा जाता है कि जो लोग इस चेतावनी को नजरअंदाज कर रात में यहां रुकने की कोशिश करते हैं, उन्हें अजीब और डरावने अनुभव होते हैं। कुछ लोगों ने परछाइयाँ देखने, अजीब सी आवाजें सुनने, और अपने आप खुलते-बंद होते दरवाजों की बात कही है। कुछ तो यह भी कहते हैं कि यहां रुकने वाले लोग बीमार पड़ गए या उन्हें मानसिक तनाव होने लगा।
मंदिर से जुड़ी श्राप की कहानी
लोककथाओं के अनुसार, इस किले और मंदिर को एक तांत्रिक द्वारा श्राप दिया गया था। उसने राजकुमारी रत्नावती को पाने के लिए काले जादू का सहारा लिया, लेकिन उसकी चाल उलटी पड़ गई और मरते-मरते वह पूरे किले को वीरान होने का श्राप दे गया। माना जाता है कि उसी श्राप के कारण यह मंदिर आज भी रहस्यमयी और भयावह बना हुआ है।
डर और आस्था का मिलन
यह मंदिर एक अनोखा संगम है — डर और आस्था का। दिन में यहां श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन जैसे ही शाम ढलती है, पूरे परिसर में सन्नाटा पसर जाता है। लोग खुद-ब-खुद जल्दी लौट जाते हैं क्योंकि इलाके में ऐसा माहौल बन जाता है जो किसी को भी बेचैन कर सकता है।
रोमांच प्रेमियों के लिए है खास
अगर आप रहस्य, रोमांच और इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह जगह आपके लिए जरूर खास होगी। दिन में आप इस मंदिर की वास्तुकला, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक परिवेश का आनंद ले सकते हैं, लेकिन रात में यहां रुकना आपकी हिम्मत की असली परीक्षा हो सकती है।
निष्कर्ष
भानगढ़ का रहस्यमयी मंदिर राजस्थान की उन जगहों में से एक है, जहां रहस्य और लोककथाएं हकीकत का रूप ले लेती हैं। यहां रात में रुकने की मनाही केवल नियमों के तहत नहीं, बल्कि अनुभवों और चेतावनियों की बुनियाद पर है।
तो क्या आप कभी इस मंदिर में रात गुजारने की हिम्मत जुटा पाएंगे? या फिर दिन के उजाले में ही इस रहस्य से रूबरू होना पसंद करेंगे?

