दुनिया का सबसे रहस्यमयी गांव, जहां पैदा होते ही अंधा हो जाता है हर कोई

न केवल पूरी दुनिया बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ था। दुनिया भर के वैज्ञानिक भी आज तक इन रहस्यों का पता नहीं लगा पाए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दुनिया का सबसे रहस्यमयी गांव माना जाता है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि इस गांव में पैदा होते ही बच्चे अंधे हो जाते हैं, चाहे वो इंसान के बच्चे हों या जानवर के। दरअसल, हम बात कर रहे हैं मेक्सिको के एक गांव की। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव में बच्चों के जन्म के बाद कुछ बहुत ही आश्चर्यजनक घटनाएं घटती हैं।
इस गांव में बच्चे स्वस्थ पैदा होते हैं, लेकिन जन्म के कुछ दिन बाद ही उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि ऐसा सिर्फ इंसानों के साथ ही नहीं बल्कि जानवरों के साथ भी होता है। इसीलिए मेक्सिको के इस गांव को अंधों का गांव भी कहा जाता है। इस अजीबोगरीब वजह से यह गांव पूरी दुनिया में मशहूर है। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला गांव है। इसे पढ़कर भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन यह बिल्कुल सच है। मेक्सिको के टिल्टेपेक गांव को अंधे लोगों का गांव कहा जाता है। इस गांव में इंसान से लेकर जानवर तक सभी अंधे हैं।
टिल्टेपाक गांव दुनिया के सबसे रहस्यमय गांवों में से एक है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा गांव है जहां केवल अंधे लोग रहते हैं। आपको बता दें कि ज़ेपोटेक जनजाति मेक्सिको के रहस्यमयी गांव टिल्टेपैक में रहती है। जब बच्चे पैदा होते हैं तो उनकी आंखें बिल्कुल ठीक होती हैं, लेकिन कुछ महीनों के भीतर उनकी दृष्टि चली जाती है और वे अंधे हो जाते हैं। इस गांव में रहने वाली जनजाति के लोगों का मानना है कि उनके अंधेपन का कारण एक शापित पेड़ है। वे कहते हैं कि यहां लावजुएला नाम का एक पेड़ है, जिसे देखने के बाद इंसान से लेकर पशु-पक्षी तक अंधे हो जाते हैं। यह पेड़ इस गांव में वर्षों से मौजूद है।
गांव वालों का कहना है कि इस पेड़ को देखने के बाद कोई अंधा हो जाता है। हालाँकि, कई लोग मानते हैं कि यह सिर्फ अंधविश्वास है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां के लोगों के अंधे होने का कारण एक जहरीली मक्खी है जो यहां बहुतायत में पाई जाती है। इन मक्खियों के काटने से लोग अंधे हो जाते हैं। सूचना मिलने के बाद मैक्सिकन सरकार ने ग्रामीणों की मदद करने की कोशिश की। लेकिन सरकार को भी कोई सफलता नहीं मिली है। सरकार ने इस जनजाति को अन्य स्थान पर बसाने का प्रयास किया लेकिन वहां की जलवायु उनके लिए उपयुक्त नहीं थी। अब उन लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।