Samachar Nama
×

देश में यहां यहां होती है हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा की पूजा? जानें क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

sadfd

हनुमान जी को आमतौर पर लाल या केसरिया रंग में देखा जाता है। प्रसिद्ध श्लोक “लाल शरीर, लाल लंगूर, वज्र शरीर, राक्षस, जय जय जय कपि सूर” में उनके लाल रंग का वर्णन है, जो उनके नख से मुकुट तक पूरे शरीर में व्याप्त होता है। लेकिन क्या आपने कभी काले हनुमान जी को देखा है? आश्चर्य हो सकता है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में हनुमान जी की काले रंग की मूर्तियां भी स्थापित हैं, जिनके पीछे रोचक पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं।

निजामाबाद का काला हनुमान मंदिर

तेलंगाना के निजामाबाद जिले के गाजुलपेटा में स्थित ‘श्री नल्ला हनुमान मंदिरम’ (काला हनुमान मंदिर) इस अनोखे मंदिरों में से एक है। यहां की काले पत्थर से बनी हनुमान जी की मूर्ति 1836 में स्थापित हुई थी और आज यहां रोजाना लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

मंदिर की स्थापना के पीछे एक प्राचीन कहानी प्रचलित है। मूर्ति बनाने के बाद उसे संत शिरोमणि मठ में स्थापित करने के लिए बैलगाड़ी में लाया जा रहा था। लेकिन एक जगह बैलगाड़ी चलने से मना कर रुक गई। कई प्रयासों के बाद भी बैलगाड़ी हिली नहीं। रात को संत शिरोमणि महाराज स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन हुए और उन्हें मूर्ति को वहीं स्थापित करने का आदेश दिया। इसके बाद 1836 में घने जंगल में उस स्थान पर मूर्ति स्थापित कर दी गई।

मंदिर में हनुमान जी के साथ भगवान दत्तात्रेय की भी मूर्ति है। भक्त मानते हैं कि यदि कोई 108 बार इस मंदिर की परिक्रमा करता है तो उसके मन को शांति मिलती है और बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है।

जयपुर में काले हनुमान जी

राजस्थान के जयपुर में भी दो काले हनुमान जी की मूर्तियां हैं — एक चांदी की टकसाल में और दूसरी हवा महल के पास। खासतौर पर सांगानेरी गेट के अंदर पूर्वमुखी काले हनुमान जी की प्रतिमा आमेर के राजा जयसिंह द्वारा स्थापित की गई थी। यह मंदिर एक महल जैसा भव्य है और यहां हनुमान जी के अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां हैं।

काले रंग का रहस्य: शनिदेव की कुदृष्टि

हनुमान जी के काले रंग होने की पौराणिक कथा बहुत रोचक है। जब हनुमान जी ने अपने गुरु सूर्यदेव से शिक्षा ग्रहण कर ली, तो गुरु दक्षिणा के रूप में उन्हें अपने पुत्र शनिदेव को लेकर आना था। शनिदेव ने जब हनुमान जी को देखा तो क्रोधित होकर अपनी कुदृष्टि डाल दी, जिससे हनुमान जी का रंग काला पड़ गया। इसके बाद भी हनुमान जी ने गुरु की आज्ञा पूरी की और शनिदेव को सूर्यदेव के पास ले गए। उनकी भक्ति देखकर शनिदेव ने वचन दिया कि शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने वालों पर उनकी वक्र दृष्टि का कोई प्रभाव नहीं होगा।

इस प्रकार काले हनुमान जी की मूर्तियां न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि उनकी पौराणिक कथाएं भक्तों के मन में उनके प्रति विश्वास और भक्ति को भी प्रगाढ़ करती हैं। यदि कभी आपको काले हनुमान जी का मंदिर देखने का अवसर मिले, तो उसकी अद्भुत ऊर्जा और गूढ़ रहस्यों को महसूस जरूर करें।

Share this story

Tags