क्या वाकई राणा कुंभा पैलेस है हॉन्टेड? वीडियो में देखे उस स्थान की कहानी जहाँ दिन ढलते ही परिंदे भी नहीं मारते पर
राजस्थान को किलों और महलों की भूमि कहा जाता है। यहां हर किला अपने भीतर सैकड़ों कहानियां और राज छिपाए बैठा है। लेकिन कुछ किले ऐसे भी हैं जो केवल अपने स्थापत्य सौंदर्य या इतिहास के लिए नहीं, बल्कि अपनी रहस्यमय और डरावनी घटनाओं के लिए भी मशहूर हैं। ऐसा ही एक किला है – राणा कुंभा का हॉन्टेड पैलेस, जो अपने भीतर छुपाए हुए कई अनसुलझे रहस्य और आत्माओं की मौजूदगी के लिए जाना जाता है।
कौन थे राणा कुंभा?
राणा कुंभा मेवाड़ के महान शासक माने जाते हैं। उनका शासनकाल 15वीं शताब्दी में था और उन्होंने चित्तौड़गढ़ किले को न केवल सैन्य दृष्टि से मजबूत बनाया, बल्कि सांस्कृतिक और स्थापत्य कला का भी अद्भुत विकास किया। राणा कुंभा ने जहांगीर महल, विजय स्तम्भ और कई अन्य स्मारकों का निर्माण करवाया, लेकिन उनका निजी महल, जो अब "राणा कुंभा पैलेस" के नाम से जाना जाता है, आज एक भूतिया स्थल बन चुका है।
राणा कुंभा पैलेस क्यों माना जाता है भूतिया?
कहा जाता है कि जब अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को पाने के लिए चित्तौड़गढ़ पर हमला किया था, तब रानी पद्मिनी और उनके साथ सैकड़ों रानियों और दासियों ने जौहर किया था – यानी दुश्मनों के हाथ लगने से पहले खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया। यह जौहर राणा कुंभा के इसी महल में हुआ था। मान्यता है कि इन नारियों की आत्माएं आज भी इस महल में भटकती हैं और रात्रि के समय उनकी चीखें, कराहें और कुछ अजीब गतिविधियाँ यहां देखी और सुनी जा सकती हैं।
पक्षी भी नहीं मारते पर!
इस पैलेस को लेकर सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जैसे ही सूरज डूबता है, यहां कोई पक्षी भी उड़ता नजर नहीं आता। स्थानीय लोग कहते हैं कि पक्षी भी इस स्थान से दूरी बना लेते हैं, मानो वे भी इस जगह की भयावहता को महसूस करते हों। यह बात वर्षों से दोहराई जाती रही है और आज तक इसका कोई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है।
पर्यटकों के अनुभव
जो पर्यटक दिन के समय इस किले को देखने जाते हैं, वे इसकी खूबसूरत बनावट और इतिहास से बेहद प्रभावित होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे शाम ढलने लगती है, गाइड और स्थानीय लोग पर्यटकों को वहां से लौट जाने की सलाह देते हैं। कुछ लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने महल के भीतर किसी के चलने की आवाजें सुनी हैं, जबकि वहां कोई नहीं था। कई लोगों ने यह भी कहा है कि उन्हें एक अजीब सी ठंडक और डरावना अहसास हुआ, जो आमतौर पर किसी सामान्य ऐतिहासिक स्थल पर नहीं होता।
ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की चेतावनी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा भी इस स्थल को सूर्यास्त के बाद ‘नो एंट्री जोन’ घोषित किया गया है। कारण साफ नहीं बताए जाते, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से पर्यटकों को शाम के बाद किले में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती।
मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक मत
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई स्थान इतने बड़े पैमाने पर आत्म-बलिदान और त्रासदी का गवाह बनता है, तो वहां का वातावरण भारी और डरावना हो सकता है। कुछ वैज्ञानिक इसे 'पैरानॉर्मल साइकोलॉजी' से जोड़ते हैं, जहां ऊर्जा के रूप में घटनाएं उस स्थान पर लंबे समय तक बनी रह सकती हैं। हालांकि, आज तक कोई वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध नहीं कर पाया है कि वाकई आत्माएं वहां मौजूद हैं।
क्या है विश्वास और क्या है भ्रम?
राणा कुंभा पैलेस के रहस्य ने लोगों की जिज्ञासा को वर्षों से बनाए रखा है। जहां कुछ लोग इसे केवल डर फैलाने वाली लोककथाएं मानते हैं, वहीं बहुत से लोग आज भी इसमें विश्वास करते हैं और इस स्थान को पवित्र, लेकिन डरावना मानते हैं। कुछ श्रद्धालु इसे रानी पद्मिनी और अन्य वीरांगनाओं की आत्माओं की उपस्थिति से जोड़ते हैं, जो आज भी अपने सम्मान की रक्षा में वहां जागती हैं।

