
भारत में मंदिरों की कोई कमी नहीं है – हर राज्य, हर शहर और हर गांव में कोई न कोई पौराणिक या रहस्यमय मंदिर आपको मिल ही जाएगा। पर कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जो सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रहस्यों का अजूबा भी हैं। ऐसा ही एक मंदिर है आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित लेपाक्षी मंदिर, जो अपने लटकते खंभे और प्राचीन पौराणिक कथाओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है।
विज्ञान भी हैरान: हवा में झूलता है मंदिर का खंभा
लेपाक्षी मंदिर की सबसे रहस्यमयी और दिलचस्प बात इसका हैंगिंग पिलर (लटकता खंभा) है। इस मंदिर में कुल 70 खंभे हैं, लेकिन इनमें से एक ऐसा भी है जो ज़मीन से बिल्कुल नहीं जुड़ा है – बल्कि हवा में टिका हुआ नजर आता है। अगर आप मंदिर जाएं, तो वहां लोग इस खंभे के नीचे कपड़ा डालकर यह परखते दिख जाएंगे कि सच में यह जमीन को नहीं छूता। आश्चर्य की बात यह है कि यह खंभा लगभग आधा इंच ज़मीन से ऊपर उठा हुआ है। आज तक इंजीनियर और वैज्ञानिक भी यह नहीं समझ पाए हैं कि यह कैसे संभव हुआ।
रामायण से जुड़ता है मंदिर का इतिहास
लेपाक्षी केवल एक स्थापत्य चमत्कार ही नहीं, बल्कि रामायण काल से भी इसका संबंध बताया जाता है। मान्यता है कि जब रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लेकर जा रहा था, तब जटायु नामक विशाल पक्षी ने उन्हें बचाने की कोशिश की। रावण ने जटायु के पंख काट दिए और वे इसी स्थान पर आकर गिरे। श्रीराम जब वहां पहुंचे, तो उन्होंने दुख के साथ कहा – “ले पाख्शी”, जिसका अर्थ होता है – “उठो पक्षी”। यही शब्द कालांतर में लेपाक्षी बन गया।
विशालकाय नाग के नीचे शिवलिंग – एक और अजूबा
मंदिर के पिछली ओर आपको एक और अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा – एक विशाल शिवलिंग, जो एक बहु-मुंह वाले नाग (शेषनाग) के नीचे स्थित है। यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली है, बल्कि शिल्पकला की उत्कृष्टता का भी प्रतीक है। यह शिवलिंग और शेषनाग एक ही पत्थर को तराशकर बनाए गए हैं – जिसे देखकर किसी का भी मन स्तब्ध रह जाए।
कैसे पहुंचें लेपाक्षी मंदिर?
अगर आप इस रहस्यमयी मंदिर की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो जान लें कि बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इसका सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो लगभग 120 किमी दूर स्थित है। वहीं, हिंदूपुर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 14 किमी की दूरी पर है। यहां से टैक्सी या ऑटो लेकर आप आराम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।