भारत की अजब-गजब दरगाह जहाँ 700 सालों से लगती आ रही भूतों की अदालत, बाबा की पर्ची का रहस्य जानकर उड़ जाएंगे होश
कोई नाच रहा है, कोई लेटकर चक्कर लगा रहा है, तो कोई खुले बालों में सिर हिला रहा है। हम किसी पागलखाने नहीं, बल्कि कुशीनगर के बाबा बुढ़न शाह की दरगाह पर जा रहे हैं, जहाँ 700 सालों से भूतों की अदालत लगती आ रही है। रहस्यमयी कहानियों से भरी यह दरगाह पडरौना शहर से 9 किलोमीटर दूर शाहपुर गाँव के पास एक पहाड़ी पर स्थित है।
दरगाह से जुड़े हैरान करने वाले दावे
कुशीनगर के लोगों के लिए बाबा बुढ़न शाह भूत-प्रेतों से मुक्ति पाने का एक पवित्र स्थान है, तो कुछ लोगों के लिए यह भूतों की सबसे लंबे समय से चलने वाली अदालत है, जहाँ सुनवाई होती है और सज़ा भी तय होती है, मुक़दमे की सुनवाई कौन जज कर रहा है, वकील कौन है, यह अपने आप में एक रहस्य है। रहस्यों से भरी बाबा बुढ़न शाह की दरगाह पर लोगों की भीड़ देखकर और किए गए दावों को सुनकर शायद विज्ञान भी हैरान हो जाए।
चमत्कारों की अनोखी कहानियाँ
बाबा बुढ़न शाह की दरगाह और चमत्कारों की अनोखी कहानियों की कई कहानियाँ हैं। दावा है कि बाबा के चमत्कार के कारण नदी उत्तर से दक्षिण की ओर नहीं बहती, बल्कि बाबा के चमत्कार ने नदी को विपरीत दिशा में बहने पर मजबूर कर दिया। इसमें स्नान करने से रोग दूर होते हैं। बाबा बुढ़न शाह के दरबार की प्रसिद्धि न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि बिहार और नेपाल में भी है।
दरगाह का नज़ारा हैरान करने वाला
ज़ी मीडिया की टीम जब दरगाह पहुँची, तो बाहर सब कुछ शांत था। लेकिन जब हम अंदर गए, तो अंदर का नज़ारा बिल्कुल उलट था। अंदर अशांति का माहौल हैरान करने वाला था, ज़ोर-ज़ोर से नाचती महिलाओं की भीड़ को देखकर सवाल उठा कि इन्हें क्या हो गया है? क्यों? ये अपना होश खो बैठी हैं। महिलाएं ऐसा व्यवहार क्यों कर रही हैं? ऐसा लगता है कि कोई और उन्हें नियंत्रित कर रहा है।
बाबा की पर्ची से लगती है हाजिरी
दरगाह के अंदर हर जगह कब्रें ही कब्रें क्यों हैं, कोई कई सालों से आ रहा है, कोई रोज़ आता है, तो कोई कई महीनों से यहाँ डेरा डाले हुए है, दावे ऐसे हैं कि जहाँ डॉक्टर का इलाज काम नहीं करता, वहाँ बाबा की पर्ची काम करती है। इस दरगाह का मुख्य सेवादार एक सादे कागज़ पर उर्दू भाषा में कुछ लिख रहा था। पूछने पर पता चला कि यह हाज़िरी भूत-प्रेतों को बुलाने के लिए लगाई जा रही है।
जब यह हाज़िरी बाबा बुढ़न शाह की मज़ार पर जाएगी, तो हाज़िरी लगाने वाला व्यक्ति नाचता हुआ बाहर आएगा। भूत-प्रेत से परेशान व्यक्ति खुद ज़मीन पर लेटकर, दौड़ता हुआ, हँसता, रोता हुआ आएगा और अपनी गलती की माफ़ी माँगते हुए यह जानकारी देगा कि उसने मानव शरीर में शरण क्यों ली, फिर उस मानव शरीर को छोड़ने की शर्त बताएगा।
हिंदू लोग भी दरगाह पहुँचते हैं
भले ही यह मुस्लिम समुदाय की दरगाह है, लेकिन बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग भी यहाँ हाज़िरी लगाते देखे गए। आपको बता दें कि यहाँ के सेवादार ने बताया, "इस दरगाह के बगल में ऐसी तीन और मज़ारें थीं, जो हिंदू समुदाय से जुड़े उन सेवादारों की थीं। इनकी मृत्यु बाबा बुढ़न शाह की सेवा करते हुए हुई थी, जिनमें से एक ब्राह्मण थे, दूसरे यादव थे जबकि तीसरे साधु थे।"
उल्टी बहती नदी?
हिंदू मुस्लिम समाज की एकता का प्रतीक माने जाने वाले बाबा बुढ़न शाह की इस दरगाह का एक बेहद ख़ास और अलग महत्व है। दरगाह से एक छोटी सी नदी उल्टी बहती है। जिन लोगों को शारीरिक कष्ट होते हैं और दवाइयों से आराम नहीं मिलता, वे इस नदी में स्नान करके अपनी सभी समस्याओं से मुक्ति पा लेते हैं। अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास।
स्थानीय लोग क्या कहते हैं?
स्थानीय लोगों ने बताया, "पडरौना राजदरबार के राजा जगदीश सिंह को कोई संतान नहीं थी। उन्होंने कई अनुष्ठान और पूजा-पाठ किए, कई धार्मिक स्थलों पर माथा भी टेका, लेकिन उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। किसी ने बाबा बुढ़न शाह के बारे में बताया कि उनके दर्शन करने से संतान सुख मिलता है। राजा जगदीश सिंह ने दर्शन किए। बाबा ने आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद दिया, जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।"

