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की इस वीडियो में किले की खौफनाक सुरंगों और खजाने का राज़, सदियों से दफ़न राज़ जान काँप जाएगी रूह 

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राजस्थान की रॉयल राजधानी जयपुर का नाम सुनते ही भव्य महल, किले और राजसी शान की छवि उभरती है। इन्हीं राजसी धरोहरों में से एक है — आमेर का किला, जो अपनी भव्यता, स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। लेकिन आमेर किला केवल इतिहास या स्थापत्य कला का प्रतीक भर नहीं, बल्कि इसके गर्भ में कई ऐसे रहस्य और डरावनी कहानियाँ भी दबी हुई हैं जो आज तक सुलझ नहीं सकीं।


आमेर किले का इतिहास
आमेर किले का निर्माण 16वीं सदी में राजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था और यह बाद में सवाई जय सिंह द्वारा विस्तारित किया गया। यह किला अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है और बाहर से देखने पर किसी युद्धगढ़ की तरह दिखता है, लेकिन भीतर जाते ही इसकी भव्यता और शाही ठाठ देखकर पर्यटक दंग रह जाते हैं।राजमहल, शीश महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास जैसे भाग इसकी शान बढ़ाते हैं। लेकिन इन भव्य दीवारों के पीछे छिपा है एक ऐसा पहलू जिसे लोग आमतौर पर नजरअंदाज कर देते हैं — किले की सुरंगें और उनमें छिपा रहस्यमयी खजाना, जिसे लेकर कई कहानियां और किवदंतियां प्रचलित हैं।

सुरंगें: एक गुप्त और खौफनाक रास्ता
कहते हैं कि आमेर किले के भीतर कई गुप्त सुरंगें मौजूद हैं, जो इसे जयगढ़ किले से जोड़ती हैं। इन सुरंगों का इस्तेमाल युद्ध के समय शाही परिवार और सैनिकों के आपातकालीन पलायन मार्ग के रूप में किया जाता था। लेकिन इतिहासकारों और स्थानीय लोगों का मानना है कि ये सुरंगें केवल पलायन के लिए नहीं, बल्कि खजाने को छिपाने और रहस्यमयी गतिविधियों के लिए भी इस्तेमाल होती थीं।इन सुरंगों में प्रवेश प्रतिबंधित है, लेकिन कई पुरातत्वविद् और खोजकर्ता समय-समय पर इनके रहस्यों की परतें खोलने की कोशिश करते रहे हैं। कहा जाता है कि कुछ सुरंगें इतनी संकरी और लंबी हैं कि उनमें कोई घुस भी जाए, तो लौटकर नहीं आ सकता। कई लोग यह भी दावा करते हैं कि रात के समय इनमें अजीब सी आवाजें, हलचल, और अनदेखी परछाइयाँ देखी गई हैं।

खजाने की कहानी: सोने से भरे कमरे या मौत का बुलावा?
आमेर किले के बारे में प्रचलित है कि यहाँ किसी समय अपार धन-संपत्ति छिपाई गई थी। जब राजाओं को मुगलों या विदेशी आक्रमणकारियों का डर सताने लगा, तब उन्होंने सुरंगों में गुप्त स्थानों पर सोना, चांदी और हीरे-जवाहरात छिपा दिए।एक लोककथा के अनुसार, एक बार एक गुप्त खोजी दल ने सुरंगों में प्रवेश कर खजाने की खोज शुरू की, लेकिन उनमें से कोई भी वापस नहीं लौटा। उस घटना के बाद प्रशासन ने इन रास्तों को हमेशा के लिए बंद कर दिया। स्थानीय लोग आज भी मानते हैं कि सुरंगों में कोई अलौकिक शक्ति या शाप है जो किसी को खजाने तक नहीं पहुंचने देती।

क्या है डर का राज?
आमेर किले से जुड़ी डरावनी कहानियों में सबसे आम बातें हैं:
रात में सुनाई देने वाली स्त्रियों की चीखें और पायल की आवाजें।
सुरंगों के पास जाते ही ठंडी हवा का अहसास और कंपकंपी।
रक्षकों द्वारा देखी गई छायाएं जो किसी इंसान जैसी लगती हैं पर अचानक गायब हो जाती हैं।
कुछ इतिहासकार इसे केवल पर्यटकों को आकर्षित करने वाला किस्सा मानते हैं, जबकि कुछ इस बात पर अडिग हैं कि आमेर किले की दीवारों में वास्तव में कोई रहस्य और रहस्यमयी शक्ति छिपी है।

पुरातात्विक नजरिए से क्या है सच्चाई?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आमेर किले के कई हिस्सों की खुदाई और अध्ययन किए हैं, लेकिन उन्होंने खजाने या भूत-प्रेत जैसी किसी गतिविधि की पुष्टि नहीं की। फिर भी कई सुरंगें ऐसी हैं जहाँ प्रवेश को प्रतिबंधित किया गया है, जिससे इन रहस्यों को लेकर उत्सुकता और भी बढ़ जाती है।

पर्यटन और रोमांच का केंद्र
आमेर किला दिन में हजारों पर्यटकों से गुलजार रहता है, लेकिन जैसे ही सूर्यास्त होता है, इसके गलियारे, दीवारें और सुरंगें एक रहस्यमयी सन्नाटे में डूब जाती हैं। कई विदेशी डॉक्यूमेंट्री और यूट्यूब चैनल्स ने इन रहस्यों पर खोजी रिपोर्टिंग की है, जिससे इसकी हॉरर-हेरिटेज टूरिज्म की छवि और मजबूत हुई है।

आमेर किले की सुरंगों और खजाने का रहस्य आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। यह किला केवल स्थापत्य और राजसी इतिहास का प्रतीक नहीं, बल्कि भूतिया किस्सों और खौफनाक कहानियों का जीता-जागता उदाहरण भी है।यदि आप कभी जयपुर जाएं और आमेर किले के सामने खड़े हों, तो उसकी दीवारों से आती खामोशी की गूंज को जरूर महसूस करें — हो सकता है, कोई पुराना राज़ आपसे कुछ कहना चाहता हो।

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