3 मिनट के इस दुर्लभ वीडियो में देखें किसने और क्यों दिया था हनुमान जी को अमर होने का वरदान ?

हनुमान जी को अमर होने का वरदान किसने और क्यों दिया था? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में उठता है, और इसका उत्तर पौराणिक कथाओं में छुपा है। हनुमान जी को अमरता का वरदान एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा हुआ है, जो उनकी महानता और शक्ति को प्रमाणित करता है। आइए, जानते हैं इस दुर्लभ कथा के बारे में, जो हनुमान जी के अमर होने के कारण और उसका महत्व बताती है।
1. रावण के खिलाफ युद्ध में हनुमान जी का अद्वितीय साहस
रामायण के अनुसार, जब रावण ने श्रीराम की पत्नी सीता को हरण किया और उन्हें लंका ले आया, तब हनुमान जी ने अपनी अद्वितीय शक्ति का प्रदर्शन किया। हनुमान जी ने लंका में सीता का पता लगाया और श्रीराम का संदेश उनके पास पहुंचाया। इसके बाद उन्होंने रावण के महल को भी जलाया। रावण ने हनुमान जी को पकड़कर उन्हें दंडित करने का प्रयास किया। इस दौरान हनुमान जी के शरीर को आग से जलाने की कोशिश की गई, लेकिन वे अमर थे और कभी नष्ट नहीं हो सकते थे।
2. राक्षसों के तामसिक कर्मों से हनुमान जी की रक्षा
रावण ने हनुमान जी को बंधक बनाने के बाद उनके साथ अन्याय करने की योजना बनाई। राक्षसों ने उन्हें जेल में बंद कर दिया और उनके शरीर पर बहुत सारी यातनाएं दीं। लेकिन हनुमान जी के शरीर में कोई भी शक्ति असर नहीं कर सकी। इसके बाद राक्षसों ने उन्हें छोड़ दिया और भगवान शिव के आशीर्वाद से उन्हें और भी शक्तिशाली बना दिया।
3. भगवान शिव ने दिया अमरता का वरदान
हनुमान जी को अमरता का वरदान भगवान शिव से मिला था। भगवान शिव ने अपनी विशेष शक्ति से हनुमान जी को अमर बना दिया। यह वरदान हनुमान जी को इस कारण मिला था क्योंकि उन्होंने भगवान राम की सेवा में अपनी जान की परवाह किए बिना अपने कर्तव्य का पालन किया। राम और सीता के प्रति उनकी भक्ति और निष्ठा को देखकर भगवान शिव ने उन्हें अमर रहने का वरदान दिया ताकि वे हर युग में अपने भक्तों की सहायता कर सकें।
4. हनुमान जी के अमरता का कारण
हनुमान जी को अमरता का वरदान देने का मुख्य कारण उनकी निस्वार्थ भक्ति और भगवान राम के प्रति उनकी अनन्य सेवा थी। भगवान शिव ने उन्हें अमर बना दिया ताकि वह हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करें और संकटमोचन के रूप में उनकी मदद कर सकें। हनुमान जी को यह वरदान यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया था कि वह कभी भी नष्ट न हों, ताकि हर युग में उनके भक्त उन्हें शरण में लेकर अपने कष्टों से उबर सकें।
निष्कर्ष:
हनुमान जी को अमरता का वरदान भगवान शिव ने दिया था, जो उनके अद्वितीय साहस, भक्ति और कर्तव्य के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। यह वरदान हनुमान जी को इसीलिए मिला था ताकि वह हर युग में अपने भक्तों की रक्षा कर सकें और संकटमोचन के रूप में उनकी मदद करें। हनुमान जी का अमर होना उनके महान कार्यों और भगवान राम के प्रति उनके प्यार और श्रद्धा का प्रतीक है।