इस देश में साइकिल से ऑफिस आने वालों को मिलता है पैसा, हर किलोमीटर के मिलते हैं 16 रुपये
आज के दौर में भारत समेत दुनिया के कई देशों में साइकिल का उपयोग कम होता जा रहा है। जहां पहले लोग रोजमर्रा के कामों के लिए साइकिल का सहारा लेते थे, अब उसकी जगह बाइक और कार ने ले ली है। लेकिन इसी बीच कुछ देश ऐसे भी हैं, जो साइकिल को फिर से प्राथमिकता दे रहे हैं — और ऐसा ही एक शानदार उदाहरण है नीदरलैंड।
नीदरलैंड में साइकिल को सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं, बल्कि सेहत और पर्यावरण की सुरक्षा का ज़रिया माना जाता है। यहां तो हालत ये है कि जो लोग ऑफिस जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके बदले अलग से पैसे भी मिलते हैं।
साइकिलिंग पर मिलती है कमाई!
नीदरलैंड में ‘साइकिल टू वर्क’ स्कीम के तहत कंपनियां अपने उन कर्मचारियों को प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे देती हैं, जो दफ्तर आने-जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं।
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प्रति किलोमीटर 0.22 डॉलर यानी करीब 16 रुपये
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अगर आप रोज़ 10 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं तो महीने में आसानी से 3000-4000 रुपये तक का फायदा हो सकता है।
यह स्कीम न सिर्फ कर्मचारियों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करती है, बल्कि यह देश के पर्यावरणीय लक्ष्यों को भी आगे बढ़ाती है।
नीदरलैंड में साइकिल का क्रेज
नीदरलैंड की सड़कों पर साइकिल चलाना वहां की संस्कृति का हिस्सा है। आंकड़ों के मुताबिक, इस देश में जनसंख्या से भी ज्यादा साइकिलें हैं।
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एम्सटर्डम जैसे शहरों में लोग ऑफिस, स्कूल और यहां तक कि बाजार भी साइकिल से जाते हैं।
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सरकार ने अलग से साइकिल ट्रैक, साइकिल पार्किंग और सुरक्षित स्टैंड्स बनाए हैं, जिससे लोग आसानी से साइकिलिंग को अपना सकें।
यूरोप के अन्य देश भी पीछे नहीं
नीदरलैंड के अलावा इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी और डेनमार्क जैसे कई यूरोपीय देशों में भी साइकिल को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं।
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कई देशों में ‘साइकिल टू वर्क’ टैक्स बेनिफिट स्कीम लागू है।
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साइकिल खरीदने पर लोगों को टैक्स में भारी छूट दी जाती है।
इसका फायदा ये हुआ है कि यूरोपीय देशों की पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता तेजी से कम हो रही है।
साइकिल चलाने के फायदे क्या हैं?
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स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन – नियमित साइकिलिंग से वजन घटता है, दिल मजबूत होता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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ट्रैफिक जाम से मुक्ति – भीड़-भाड़ वाले शहरों में साइकिल एक तेज और आसान विकल्प है।
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ईंधन की बचत – न पेट्रोल चाहिए, न डीजल। साइकिल से चलें और खर्च बचाएं।
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पर्यावरण के लिए लाभकारी – न धुआं, न प्रदूषण। साइकिल एकदम ग्रीन ट्रांसपोर्ट है।
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कम खर्चीली और लो मेंटेनेंस – बाइक और कार की तुलना में साइकिल सस्ती भी है और इसकी देखरेख भी आसान है।
भारत क्या सीख सकता है?
भारत जैसे देश, जहां प्रदूषण, ट्रैफिक और ईंधन की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं, वहां सरकार अगर इस तरह की योजनाएं लाए तो बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
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दफ्तर जाने वालों को साइकिलिंग पर इंसेंटिव
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शहरों में साइकिल ट्रैक और स्टैंड्स का निर्माण
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स्कूल और कॉलेज स्तर पर जागरूकता अभियान
निष्कर्ष
नीदरलैंड ने यह साबित कर दिया है कि साइकिल केवल एक साधन नहीं, बल्कि एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट है — जो सेहत, पर्यावरण और जेब, तीनों का ख्याल रखती है। भारत में भी अगर लोग साइकिल की ओर लौटें और सरकार इसे प्रोत्साहित करे, तो देश को स्वस्थ, स्वच्छ और सस्ता सफर मिल सकता है।