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इस देश में शराब में सोना मिलाकर पीते हैं लोग, बेहद अद्भुत है पीछे की कहानी

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र देश की अपनी अलग पहचान, रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं, जो उसकी संस्कृति को अनोखा रंग देती हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में बसा म्यांमार भी ऐसे ही देशों में से एक है, जहां की परंपराएं और सांस्कृतिक विरासत बेहद दिलचस्प और कभी-कभी अजीब भी लगती हैं। म्यांमार को पुराने जमाने में वर्मा के नाम से जाना जाता था, और आज भी इसे "स्वर्णभूमि" के नाम से जाना जाता है।

सुनहरे मंदिरों का देश

बीबीसी ट्रैवलर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार के लगभग हर शहर की जमीन सुनहरी चादर से ढकी लगती है। यहां सुनहरे स्तूप, मंदिर और पगोडा आपको हर तरफ दिखाई देंगे। ये बौद्ध मंदिर इतनी चमकदार और भव्य होते हैं कि ऐसा लगता है मानो चारों ओर सोना ही सोना बिखरा हुआ हो। देश के बड़े-बड़े मंदिर पहाड़ों की चोटियों पर बसे हुए हैं, तो छोटे-छोटे मंदिर पुराने पेड़ों के नीचे या स्थानीय लोगों के घरों के सामने लगे हैं।

म्यांमार की राजधानी और दूसरे प्रमुख शहरों के आसपास हजारों स्वर्ण मंदिर और पगोडा फैले हुए हैं, जो इस देश की सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि को दर्शाते हैं। मांडले शहर के आसपास की पहाड़ियों पर सात सौ से भी ज्यादा ऐसे मंदिर हैं, जो सुनहरे रंग में चमकते हैं।

इरावदी नदी और स्वर्णभूमि की खूबसूरती

इरावदी नदी म्यांमार की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान का एक अहम हिस्सा है। यह नदी स्वर्णभूमि के दिल से गुजरती है और इसके किनारे बसे शहर और मंदिर अपनी अद्भुत छटा बिखेरते हैं। इरावदी नदी के शांत और सुगम बहाव पर इन सुनहरे मंदिरों की परछाइयां तैरती हुई नजर आती हैं, जो देखने में किसी जादू से कम नहीं लगता।

बगान नाम के शहर के आसपास 2200 से ज्यादा मंदिर और पगोडा के खंडहर बिखरे हुए हैं, जो म्यांमार की प्राचीन विरासत और इतिहास की गवाही देते हैं। बगान का यह क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों के संग्रहों में से एक माना जाता है।

म्यांमार में सोने की परंपरा

म्यांमार में सोने का बहुत बड़ा महत्व है। यहां परंपरागत तरीके से सोने को खास कलाकारी से तरह-तरह के रंग-रूप और आकृतियों में ढाला जाता है। म्यांमार के कारीगर सोने को पूरी तरह शुद्ध, 24 कैरेट की गुणवत्ता में रखते हैं।

सोने की इस प्रक्रिया में सबसे दिलचस्प बात यह है कि बांस की पत्तियों के बीच सोने को कई सौ परतों में पतला किया जाता है। सौ से दो सौ परतें बनाकर इसे करीब 6 घंटे तक हथौड़ों से पीटा जाता है ताकि सोना न सिर्फ सही आकार में आए, बल्कि वह बेहद पतला और मजबूत भी हो। इसके बाद इस सुनहरी पत्तियों को छोटे-छोटे एक इंच के टुकड़ों में काटा जाता है, जिन्हें मंदिरों और पगोडा की दीवारों पर चढ़ाया जाता है।

सोना केवल आभूषण नहीं, बल्कि औषधि भी

म्यांमार में सोने का इस्तेमाल सिर्फ मंदिरों को सजाने तक ही सीमित नहीं है। परंपरागत चिकित्सा में भी सोने को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। यहां के लोग सोने की पत्तियों को इलाज के लिए विशेष प्रकार की दवाओं में मिलाते हैं, जो आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का हिस्सा हैं।

म्यांमार की अनूठी संस्कृति का प्रतिबिंब

म्यांमार की संस्कृति और परंपराएं एक अनूठी झलक पेश करती हैं, जो सुनहरे मंदिरों और नदी के किनारे बसे शहरों के माध्यम से जीवंत होती हैं। यहां के लोग अपनी धार्मिक आस्था, कला और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं। स्वर्णभूमि के नाम से विख्यात यह देश आज भी अपनी पारंपरिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को सम्हाले हुए है।

निष्कर्ष
म्यांमार का इतिहास, उसकी सांस्कृतिक विरासत और सुनहरे मंदिरों की चमक इसे विश्व में एक खास पहचान देती है। इरावदी नदी की लहरों के बीच चमकते ये मंदिर और सोने की परतों से बनी यह भूमि आज भी यात्रियों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इस देश की परंपराएं न केवल वहां के लोगों के जीवन का हिस्सा हैं, बल्कि पूरी दुनिया को सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत तोहफा भी हैं।

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