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इस देश में शराब में सोना मिलाकर पीते हैं लोग, बेहद अद्भुत है पीछे की कहानी

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मनोरंजन के नाम पर जानवरों के साथ क्रूरता करना न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह पूरी तरह से मानवता के खिलाफ भी है। बावजूद इसके, कुछ लोग अपनी नफ़स को संतुष्ट करने के लिए इन बेगुनाह जीवों के साथ क्रूर व्यवहार करने से बाज नहीं आते। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के छोटीसादड़ी से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां भैंसों को शराब पिलाकर लड़ाया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और अब तक प्रशासन भी इसे नज़रअंदाज़ करता आया है।

एक खतरनाक परंपरा

दीपावली के दिन प्रतापगढ़ जिले के छोटीसादड़ी में भैंसों को शराब पिलाकर लड़ाने की परंपरा आयोजित की जाती है। यह खेल न केवल भैंसों के लिए जानलेवा है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग अपनी मनोरंजन की खातिर निर्दोष जानवरों के साथ क्रूरता कर सकते हैं। खबरों के अनुसार, यहां के स्थानीय लोग भैंसों को शराब पिलाकर उन्हें लड़ाते हैं और इस रक्तरंजित खेल को देखने के लिए हजारों की भीड़ जमा होती है। यह परंपरा गोवर्धन पूजा के दिन आयोजित की जाती है और कई सालों से चली आ रही है।

प्रशासन की चुप्पी

यह खेल जिस दिन आयोजित किया जाता है, उस दिन पूरी व्यवस्था जैसे लापरवाह हो जाती है। प्रशासन को इस खेल के बारे में पूरी जानकारी होती है, फिर भी वह इसे रोकने के बजाय मौन रहता है। यही नहीं, इस दौरान गांव के गणमान्य लोग भी उपस्थित होते हैं और इस खतरनाक खेल का हिस्सा बनते हैं। प्रतापगढ़ के छोटीसादड़ी में इस बार भी शराब पिला कर भैंसों की लड़ाई करवाई गई। खास बात यह है कि इस बार इस आयोजन में UDH मंत्री श्रीचंद कृपलानी, उपखंड अधिकारी प्रकाश रेगर, तहसीलदार गणेशलाल पांचाल, और DSP विजय पाल सिंह जैसे प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए, हालांकि वे इस खेल को देखने के लिए नहीं आए।

खेल की भयावहता

इस खेल की शुरुआत एक जुलूस से होती है, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। इसके बाद, भैंसों को एक खेत में ले जाकर शराब पिलाई जाती है और फिर दोनों भैंसों के बीच लड़ाई कराई जाती है। इस खेल के दौरान भैंसों के शरीर पर शराब का असर दिखता है और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे वे लड़ाई में और भी अधिक आक्रामक हो जाती हैं। यह लड़ाई तब तक जारी रहती है जब तक एक भैंसा हार नहीं मानता। इस बार की लड़ाई में "बादल" नामक भैंसा विजेता रहा।

क्रूरता और अत्याचार

यह खेल न केवल भैंसों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यधिक पीड़ादायक होता है, बल्कि यह मानवता के खिलाफ भी है। पशुओं को शराब पिलाना और उन्हें लड़ने के लिए मजबूर करना, यह सब क़ानूनी रूप से गलत है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह के खेलों का आयोजन केवल एक आस्था या परंपरा का हिस्सा नहीं हो सकता, यह किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है।

आवश्यक कदम

इस तरह के क्रूर खेलों को रोकने के लिए प्रशासन और समाज दोनों को सक्रिय रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, जो लोग इस तरह की गतिविधियों में भाग लेते हैं, उन्हें यह समझाना जरूरी है कि यह केवल जानवरों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए शर्मिंदगी का कारण बनता है।

पशु क्रूरता की इस परंपरा को बंद करने के लिए, इसे लेकर कड़े कानून बनाए जाने चाहिए और प्रशासन को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। जानवरों के साथ क्रूरता को किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता है, और इसके खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

निष्कर्ष

प्रतापगढ़ जिले में भैंसों की शराब पिलाकर लड़ाने का यह खेल निश्चित रूप से मानवता के खिलाफ है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। यह समय की आवश्यकता है कि हम अपनी पुरानी परंपराओं और प्रथाओं को पुनः विचार करें, ताकि हम अपनी संस्कृति और समाज को प्रगति की ओर ले जा सकें। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हमें कड़े कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में कोई और जानवर इस तरह के क्रूर खेलों का शिकार न बने।

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