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भारत की प्राचीन संस्कृति में शक्ति उपासना का विशेष महत्व रहा है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक हैं मां पीतांबरा देवी, जिन्हें दतिया पीठ की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित यह शक्तिपीठ मां भगवती पीतांबरा को समर्पित....
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भारत की प्राचीन संस्कृति में शक्ति उपासना का विशेष महत्व रहा है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक हैं मां पीतांबरा देवी, जिन्हें दतिया पीठ की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित यह शक्तिपीठ मां भगवती पीतांबरा को समर्पित है, जो न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। मां पीतांबरा को शक्ति, ज्ञान और विजय की देवी माना जाता है। माना जाता है कि यहां की उपासना से साधक को अद्भुत सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

कौन हैं मां पीतांबरा देवी?

मां पीतांबरा देवी को 'बगलामुखी' के रूप में भी जाना जाता है। यह दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। ‘पीतांबरा’ नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मां का स्वरूप पीत (पीला) वर्ण में होता है और उनके वस्त्र भी पीले होते हैं। माना जाता है कि इनकी आराधना से शत्रुओं का नाश होता है और न्यायिक मामलों में विजय प्राप्त होती है। मां का प्रमुख अस्त्र उनका स्वर्णिम गदा और त्रिशूल होता है।

मां पीतांबरा पीठ का इतिहास

इस शक्तिपीठ की स्थापना स्वामी जी महाराज ने 1920 के दशक में की थी। स्वामी जी महाराज एक महान तांत्रिक साधक थे, जिन्होंने मां बगलामुखी की उपासना को जनसाधारण तक पहुंचाया। कहते हैं कि मां पीतांबरा देवी की मूर्ति उनके ही निर्देशानुसार स्थापित की गई थी। यह स्थान आज भी तंत्र, मंत्र और साधना का बड़ा केंद्र माना जाता है।

चमत्कार और श्रद्धा का केंद्र

कहा जाता है कि मां पीतांबरा की कृपा से कई असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। मान्यता है कि यहां साधना करने से कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय मिलती है और शत्रु बाधाएं दूर होती हैं। मंदिर परिसर में विशेष तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं, जिन्हें गुप्त रूप से संपन्न किया जाता है। यही कारण है कि देश-विदेश से साधक यहां आकर विशेष पूजा व अनुष्ठान करते हैं।

मां पीतांबरा की पूजा विधि और विशेष दिन

मां पीतांबरा देवी की पूजा विशेष रूप से गुरुवार और नवरात्रि के अवसर पर की जाती है। इस दिन भक्त पीले वस्त्र पहनते हैं, पीली मिठाइयों का भोग लगाते हैं और पीले फूल चढ़ाते हैं। यहां शनि अमावस्या और गुरु पूर्णिमा पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं। माना जाता है कि इन दिनों में मां की आराधना विशेष फलदायी होती है।

कैसे पहुंचे मां पीतांबरा पीठ?

दतिया रेलवे स्टेशन से यह मंदिर मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ग्वालियर से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 75 किलोमीटर दूर यह स्थान सुगमता से पहुंचा जा सकता है। देशभर से श्रद्धालु यहां मनोकामनाएं पूर्ण करने आते हैं।

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