वायरल वीडियो में देखिये मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के डरावने रहस्य, जहां भूत-प्रेत बाधा से छुटकारा पाने आते है हजारों लोग

राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि एक ऐसा रहस्यमयी स्थल भी है जहां विज्ञान और तर्क की सीमाएं टूटती नजर आती हैं। इस मंदिर को लेकर कई वर्षों से अजीबोगरीब घटनाएं, चमत्कारी अनुभव और डरावनी कहानियां जुड़ी हुई हैं, जो लोगों को हैरान और कभी-कभी डरा तक देती हैं।
आस्था का यह स्थान क्यों है खास?
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को भगवान हनुमान के एक ऐसे रूप के रूप में पूजा जाता है जो "बाला रूप" में हैं, और यहाँ उनका मुख्य कार्य भूत-प्रेत बाधा और तांत्रिक दोषों से मुक्ति दिलाना है। भारतभर से लोग यहाँ अपनी मानसिक, आध्यात्मिक और अज्ञात पीड़ाओं से मुक्ति पाने आते हैं। यहां विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को भारी भीड़ उमड़ती है, क्योंकि इन दिनों को हनुमान जी का दिन माना जाता है।
डर और आस्था का संगम
जो बात मेहंदीपुर बालाजी को खास बनाती है, वो है यहाँ भूत-प्रेत बाधित लोगों की उपस्थिति और उनके इलाज की विधियां। मंदिर परिसर में ऐसे हजारों लोग दिखाई देते हैं जो जोर-जोर से चिल्लाते हैं, कांपते हैं, दीवारों से सिर टकराते हैं या असामान्य हरकतें करते हैं। ये सभी ‘ऊपरी शक्तियों’ या ‘बाधाओं’ से पीड़ित माने जाते हैं।मंदिर के विशेष पुरोहित और साधक मंत्रोच्चारण, जल और हनुमान चालीसा जैसे पाठों के माध्यम से इन बाधाओं को दूर करते हैं। यह प्रक्रिया देखने में जितनी रहस्यमयी लगती है, उतनी ही डरावनी भी। कहा जाता है कि यहां के 'आरती' और 'भूत हटाने की प्रक्रिया' के दौरान वातावरण पूरी तरह से बदल जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी के डरावने किस्से
यहां से लौटे कई श्रद्धालुओं ने बताया है कि उन्होंने वहाँ अजीब-अजीब आवाजें सुनीं, जैसे किसी ने कान में फुसफुसाया हो, या किसी अनजान शक्ति ने शरीर पर नियंत्रण पाने की कोशिश की हो।एक किस्सा अक्सर सुनने को मिलता है कि एक महिला, जो वर्षों से मानसिक रूप से अस्वस्थ थी, यहाँ आने के बाद जोर-जोर से चिल्लाने लगी और खुद को "काली शक्ति" से मुक्त करने की बात करने लगी। बालाजी की पूजा और मंत्रोच्चारण के कुछ ही घंटों बाद वह सामान्य स्थिति में लौट आई।
चेतावनियाँ और नियम
यहाँ एक स्पष्ट चेतावनी दी जाती है कि मंदिर परिसर से लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पीछे देखने पर बुरी शक्तियाँ साथ लौट सकती हैं। इसके अलावा, मंदिर के बाहर प्रसाद या कोई भी वस्तु नहीं ले जानी चाहिए क्योंकि वहां कई नकारात्मक शक्तियाँ विचरण करती हैं जो वस्तुओं के माध्यम से प्रभाव डाल सकती हैं।यह भी कहा जाता है कि मंदिर के अंदर फोटो लेना या वीडियो रिकॉर्डिंग करना वर्जित है, क्योंकि इससे शक्तियाँ नाराज़ हो सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है?
हालांकि वैज्ञानिक इस तरह की मान्यताओं को मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक प्रभाव मानते हैं, लेकिन अब तक कोई भी इस बात को पूरी तरह नकार नहीं पाया कि क्यों लोग यहां आकर राहत महसूस करते हैं। कई डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक भी इस मंदिर के प्रभाव को अजीब लेकिन प्रभावशाली मानते हैं।
क्यों जाता है यहाँ हर वर्ग का व्यक्ति?
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ न कोई जात-पात देखी जाती है, न ही कोई धर्म-भेद। पीड़ितों में अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित सभी शामिल होते हैं। यहाँ सिर्फ आस्था और भरोसा देखा जाता है।