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जब राष्ट्रपति की हत्या का बदला लेने के लिए 100 दिन में उतारा गया था 8 लाख लोगों को मौत के घाट, मगर फिर भी नहीं मिला असली हत्यारा

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मानव इतिहास में ऐसे कई नरसंहार हुए हैं जिनमें लाखों निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ऐसा ही एक नरसंहार करीब 25 साल पहले हुआ था, जहां एक राष्ट्रपति की हत्या के बाद करीब 100 दिनों में 8 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। अफ्रीकी देश रवांडा में यह नरसंहार वर्ष 1994 में तब शुरू हुआ जब रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनल हैबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति सिप्रियन के विमान को उड़ा दिया गया था।

रवांडा की लगभग 85% जनता हुतु है, लेकिन तुत्सी अल्पसंख्यक समुदाय लंबे समय से देश पर हावी रहा है। 1959 में, हुतुओं ने तुत्सी राजशाही को उखाड़ फेंका और हजारों तुत्सी लोग रवांडा से भागकर युगांडा सहित पड़ोसी देशों में चले गए। तुत्सी निर्वासितों के एक समूह ने एक विद्रोही समूह, रवांडा पैट्रियटिक फ्रंट (RPF) का गठन किया, जिसने 1990 में रवांडा पर आक्रमण किया और 1993 के शांति समझौते पर सहमति होने तक लड़ाई जारी रही।


6 अप्रैल 1994 की रात को तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हबरिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति साइप्रियन नतारामिरा, दोनों हुतु, एक विमान में मारे गए। हुतु चरमपंथियों ने इसके लिए आरपीएफ को दोषी ठहराया और तुरंत कत्लेआम का अभियान शुरू कर दिया। जबकि आरपीएफ ने कहा कि नरसंहार का बहाना बनाने के लिए हुतुओं ने विमान को उड़ा दिया था।

इस दौरान कई लोग मारे गए। पड़ोसियों ने अपने पड़ोसियों को मारना शुरू कर दिया। कुछ पतियों ने तो अपनी तुत्सी पत्नियों की हत्या भी कर दी, यह कहते हुए कि अगर उन्होंने इनकार किया तो उन्हें भी मार दिया जाएगा।

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