2 मिनट से ज्यादा टॉयलेट में रुके तो लगेगा 1200 रुपये फाइन, कंपनी के अजीब नियम पर कटा बवाल

आज के दौर में कंपनियों में अनुशासन, कार्यकुशलता और समयबद्धता को लेकर कड़े नियम बनाए जाते हैं, लेकिन कई बार ये नियम मानवता की सीमाओं को लांघ जाते हैं। चीन से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसने दुनियाभर के लोगों को हैरानी में डाल दिया है।
गुआंगडोंग प्रांत के फोशान शहर में स्थित थ्री ब्रदर्स मशीन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए '2 मिनट टॉयलेट रूल' लागू किया था, जिसके बाद इंटरनेट पर जमकर बवाल मचा और कंपनी को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
क्या है ‘2 मिनट टॉयलेट रूल’?
कंपनी द्वारा 11 फरवरी 2025 से लागू इस नियम के अनुसार, कर्मचारियों को टॉयलेट जाने के लिए निर्धारित समय स्लॉट दिए गए। इन समयों में भी उन्हें केवल दो मिनट में लौटने की अनिवार्यता थी।
अगर कोई कर्मचारी इस समय-सीमा से अधिक देर तक टॉयलेट में रहता है या तय समय के बाहर जाता है, तो उसे HR से विशेष अनुमति लेनी होगी, अन्यथा उस पर 100 युआन (लगभग 1,200 रुपये) का जुर्माना लगाया जाएगा।
टॉयलेट के लिए निर्धारित समय:
नियमों के तहत कर्मचारियों को निम्न समय पर टॉयलेट जाने की अनुमति थी:
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सुबह 8 बजे से पहले
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सुबह 10:30 से 10:40 तक
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दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
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दोपहर 3:30 से 3:40 तक
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शाम 5:30 से 6:00 बजे तक
ध्यान देने वाली बात यह है कि इनमें भी हर विजिट के लिए केवल दो मिनट का समय निर्धारित किया गया था।
सीसीटीवी से निगरानी और जुर्माना
कंपनी ने कर्मचारियों की टॉयलेट ब्रेक पर निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए। यह कदम कर्मचारियों की निजता पर सीधा हमला माना जा रहा है।
कंपनी का तर्क था कि यह पॉलिसी एक प्राचीन चीनी चिकित्सा ग्रंथ के आधार पर बनाई गई है, जिसमें कहा गया है कि अधिक समय तक शौचालय में बैठना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। साथ ही कंपनी का कहना था कि यह नियम वर्कप्लेस अनुशासन और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया गया।
कर्मचारियों और लोगों का फूटा गुस्सा
हालांकि, कंपनी के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर जबरदस्त आलोचना देखने को मिली। लोगों ने इसे अमानवीय, अपमानजनक और कर्मचारी शोषण का प्रतीक बताया।
एक यूजर ने लिखा – “क्या इंसान रोबोट है जो तय समय पर ही टॉयलेट जाएगा और दो मिनट में लौट भी आएगा? ये तो मानसिक उत्पीड़न है।”
दूसरे यूजर ने कहा – “क्या कंपनी अब कर्मचारियों के शरीर के प्राकृतिक कार्यों पर भी नियंत्रण करेगी?”
कई विशेषज्ञों ने भी इस नीति को न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह कर्मचारियों के मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दे सकती है।
कंपनी को झुकना पड़ा, नियम वापस
सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आलोचनाओं की बाढ़ आने के बाद, कंपनी ने इस निर्णय को वापस लेने का फैसला किया।
हालांकि, यह मामला बताता है कि किस तरह कुछ कंपनियां कार्यस्थल अनुशासन के नाम पर कर्मचारियों की मूलभूत आवश्यकताओं तक पर प्रतिबंध लगाने का दुस्साहस कर रही हैं।
विशेषज्ञों की राय: क्यों है यह नीति खतरनाक?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि टॉयलेट जाने का समय व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। इस पर पाबंदी लगाने से:
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पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है
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मानसिक तनाव बढ़ सकता है
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शारीरिक समस्याएं जैसे कब्ज, बवासीर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है
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कर्मचारी डर और शर्मिंदगी में जीते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास घटता है
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वर्कप्लेस एनवायरमेंट जहरीला बन सकता है
यह मामला क्यों है चेतावनी?
चीन की इस कंपनी का उदाहरण दुनियाभर की कंपनियों के लिए चेतावनी है कि वे कर्मचारियों की मानवता और गरिमा को ताक पर रखकर सिर्फ 'प्रोडक्टिविटी' का पीछा न करें।
एक अच्छे कार्यस्थल की पहचान सिर्फ सख्त नियमों से नहीं होती, बल्कि वहां काम करने वाले लोगों की स्वास्थ्य, सम्मान और मानसिक शांति को प्राथमिकता देना उसकी असली ताकत होती है।
निष्कर्ष
थ्री ब्रदर्स मशीन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा लागू किया गया '2 मिनट टॉयलेट रूल' भले ही अब वापस ले लिया गया हो, लेकिन इसने दुनियाभर में एक गंभीर बहस को जन्म दे दिया है – क्या कंपनियों के पास इतना अधिकार होना चाहिए कि वे कर्मचारियों के शारीरिक कार्यों पर भी नियंत्रण करें?
आधुनिक कार्यस्थलों को समझना होगा कि कर्मचारी सिर्फ एक संसाधन नहीं, बल्कि एक जीवंत, संवेदनशील इंसान होता है, जिसकी भावनाएं, आवश्यकताएं और गरिमा का सम्मान करना हर संस्था का नैतिक कर्तव्य है।