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इस पाप से मुक्ति पाकर भैरव बाबा कैसे बने मेहंदीपुर बालाजी के कोतवाल, स्कंद पुराण में लिखी है अद्भुत कथा

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राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी धाम को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यह स्थान न केवल हनुमान जी की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां भैरव बाबा की भी विशेष उपस्थिति मानी जाती है। श्रद्धालु उन्हें कोतवाल बाबा कहते हैं, यानी बालाजी दरबार के रक्षक। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे भैरव बाबा को इस स्थान का कोतवाल नियुक्त किया गया? इसके पीछे एक अद्भुत और रहस्यमयी कथा है, जो स्कंद पुराण में वर्णित है। यह कथा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और सेवा की मिसाल भी है।

1. कौन हैं भैरव बाबा?

भैरव बाबा को भगवान शिव का रौद्र और उग्र रूप माना जाता है। वे न्यायप्रिय, दंडाधिकारी और भूत-प्रेतों के नियंत्रक माने जाते हैं। भैरव का अर्थ होता है – भय को हरने वाला। बालाजी मंदिर में भैरव बाबा को कोतवाल की भूमिका दी गई है – यानी वहां आने वाले हर व्यक्ति के कर्मों पर दृष्टि रखने वाले। ऐसा माना जाता है कि बिना भैरव बाबा की अनुमति के कोई भी व्यक्ति बालाजी के दरबार में नहीं पहुंच सकता और न ही वहां से बिना परीक्षा के बाहर जा सकता है।

2. भैरव बाबा के पाप की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है जब भैरव बाबा ने अपने रौद्र रूप में भगवती माता के क्रोध की अवहेलना करते हुए उनकी अनुमति के बिना हिमालय क्षेत्र में प्रवेश कर लिया था। यह कार्य धार्मिक मर्यादा के विरुद्ध था, और इसे एक पाप माना गया। इस पाप के कारण देवताओं ने उन्हें ब्रह्मांड से बहिष्कृत कर दिया। उन्हें सभी लोकों से निष्कासित कर दिया गया और यह शाप मिला कि वे तब तक पुनः देवताओं की सेवा में नहीं आ सकेंगे, जब तक वे सत्य, भक्ति और सेवा के मार्ग पर वापस नहीं लौटते।

3. पश्चाताप और बालाजी धाम की सेवा

अपनी गलती का एहसास होने पर भैरव बाबा ने गहन तपस्या शुरू की। उन्होंने भगवान हनुमान (बालाजी) की शरण ली और उनसे क्षमा याचना की। भगवान बालाजी ने उन्हें क्षमा करते हुए यह आदेश दिया कि —"तुम मेरे धाम के कोतवाल बनो। यहां जो भी व्यक्ति मानसिक, शारीरिक या आत्मिक रोग लेकर आएगा, तुम उसकी परीक्षा लोगे और उसके पापों की छाया को बाहर आने दोगे।" इस तरह भैरव बाबा को मेहंदीपुर बालाजी धाम का कोतवाल नियुक्त किया गया।

4. भैरव बाबा की भूमिका बालाजी धाम में

आज भी बालाजी मंदिर में तीन मुख्य देवताओं की पूजा होती है —

  1. बालाजी (हनुमान जी)

  2. प्रेतराज सरकार

  3. भैरव बाबा (कोतवाल)

भैरव बाबा मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित हैं, और ऐसा माना जाता है कि बिना उनकी अनुमति के कोई भी भक्त अंदर प्रवेश नहीं कर सकता। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु पहले भैरव बाबा को नमन करते हैं, फिर बालाजी के दर्शन करते हैं। जो भी व्यक्ति प्रेत बाधा, तांत्रिक प्रभाव या मानसिक कष्टों से ग्रस्त होता है, उसकी आत्मा की परख सबसे पहले भैरव बाबा ही करते हैं। वे ही तय करते हैं कि किसे शांति मिलेगी और किसे अभी तपस्या करनी होगी।

5. स्कंद पुराण में वर्णित संकेत

स्कंद पुराण में वर्णन आता है कि कलियुग में जब धर्म और अधर्म के बीच की रेखा धुंधली हो जाएगी, तब कुछ विशेष स्थानों पर दिव्य शक्तियां पुनः मानवता की रक्षा हेतु प्रकट होंगी। मेहंदीपुर बालाजी धाम को उन्हीं स्थानों में एक माना गया है। और इसमें भैरव बाबा की भूमिका को "धर्म के प्रहरी" के रूप में दर्शाया गया है। स्कंद पुराण कहता है कि – "भैरव वही देखे जो दिखता नहीं, और वही रोके जो आता नहीं।"

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