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यहां अनोखे अंदाज में होती है शादी, औरतें दूल्हे के साथ सरेआम करती हैं ऐसी हरकत

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हर देश की अपनी संस्कृति और परंपराएं होती हैं। खासकर शादी से जुड़ी रस्में, जो समाज की परंपरा, मान्यताओं और ऐतिहासिक सोच को दर्शाती हैं। भारत में जहां शादी के दिन दूल्हे को राजा की तरह सम्मान और आदर मिलता है, वहीं दुनिया के दूसरे हिस्सों में कुछ परंपराएं इतनी अनोखी और अजीब होती हैं कि पहली बार सुनने पर यकीन करना मुश्किल होता है। ऐसी ही एक अनोखी शादी की परंपरा है दक्षिण अमेरिका के पेरु देश में।

पेरु में शादी के दिन ऐसा कुछ होता है, जिसे सुनकर कोई भी चौंक जाएगा। यहां दूल्हे को सजा की तरह सरेआम पिटाई का सामना करना पड़ता है। और ये पिटाई कोई मामूली नहीं, बल्कि लाठी-डंडों से होती है – और वो भी महिलाओं द्वारा।

पेरु की शादी: पिटाई है परंपरा का हिस्सा

पेरु के कुछ ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में यह सदियों पुरानी परंपरा है कि शादी के दिन दूल्हे को महिलाएं सार्वजनिक रूप से पीटती हैं। यह कोई क्रूरता या सजा नहीं मानी जाती, बल्कि एक धार्मिक और सामाजिक रस्म के तौर पर इसे निभाया जाता है।

दूल्हे को इस रस्म के दौरान कोई विरोध करने की इजाजत नहीं होती। वो चुपचाप सबकुछ सहता है और यही उसकी सहनशीलता और जिम्मेदारी निभाने की क्षमता का प्रतीक माना जाता है।

लाठी-डंडे से होती है पिटाई

इस परंपरा के तहत, शादी के दिन दूल्हे को गांव या समुदाय के चौक में लाया जाता है। वहां की महिलाएं – जिनमें उसकी होने वाली पत्नी, उसकी मां, गांव की अन्य महिलाएं शामिल होती हैं – लाठी-डंडे लेकर दूल्हे की पिटाई करती हैं।

अगर दर्द असहनीय हो जाए तो दूल्हा कुछ पल के लिए खड़ा होकर सांस ले सकता है या अपने शरीर को सहला सकता है, लेकिन रस्म यहीं खत्म नहीं होती। थोड़ी देर बाद फिर से पिटाई शुरू हो जाती है। इसे एक परीक्षा की तरह देखा जाता है, जिससे यह तय होता है कि दूल्हा शादी के बाद अपने घर की जिम्मेदारियां उठाने के काबिल है या नहीं।

दूल्हे का विरोध करना मना है

इस रस्म की खास बात यह है कि दूल्हा कभी भी इसका विरोध नहीं कर सकता। अगर वह रस्म निभाने से इनकार करता है, तो इसे समाज में अपमानजनक माना जाता है। दूल्हे को कमज़ोर, गंभीर जिम्मेदारियों के लिए अयोग्य और अपनी पत्नी के प्रति असम्मानजनक माना जाता है।

इस परंपरा को निभाना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि ये दिखाता है कि दूल्हा शादी के बाद आने वाले संघर्षों, समस्याओं और दबावों को झेलने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार है।

इस परंपरा के पीछे की सोच

पेरु की इस अनोखी परंपरा के पीछे समाज की एक गंभीर सोच और सांस्कृतिक दृष्टिकोण छिपा हुआ है। यहां यह मान्यता है कि पति को विवाह के बाद पत्नी और परिवार की पूरी जिम्मेदारी उठानी होती है। उसे कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए शादी के दिन महिलाओं द्वारा पिटाई एक प्रतीकात्मक अभ्यास है जिससे पति को दर्द सहने की आदत और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है।

इस रस्म के पीछे औरतों को सशक्त बनाने की भावना भी छिपी है। ये एक तरह का संदेश है कि पति को पत्नी की तकलीफों को समझना चाहिए और उसकी समस्याओं को अपनी जिम्मेदारी मानकर सहना चाहिए।

क्या यह परंपरा अब भी जीवित है?

हालांकि शहरीकरण और आधुनिक शिक्षा के कारण पेरु के कई इलाकों में अब यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है। लेकिन ग्रामीण और पारंपरिक समुदायों में यह रस्म आज भी निभाई जाती है और स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्वीकारते हैं।

कई समाजशास्त्री और मानवाधिकार संगठन इसे शारीरिक हिंसा और गैरजरूरी परंपरा मानते हैं, जबकि स्थानीय लोग इसे सामूहिक अनुशासन और जिम्मेदारी की तैयारी के तौर पर देखते हैं।

निष्कर्ष: परंपरा या पिटाई – सोचने की बात

पेरु की यह शादी की परंपरा सुनने में भले ही अजीब और अमानवीय लगे, लेकिन वहां के समाज के लिए यह सामाजिक संतुलन और दायित्व निभाने का प्रतीक है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि दुनिया में परंपराएं सिर्फ रस्में नहीं होतीं, बल्कि वे समाज के मूल्यों, सोच और जिम्मेदारियों को दर्शाती हैं।

जहां एक ओर भारत में शादी के दिन दूल्हे को राजा की तरह बिठाया जाता है, वहीं पेरु में दूल्हा पिटकर पति बनने की योग्यता हासिल करता है।

"हर संस्कृति की अपनी अलग भाषा होती है – और कई बार वो भाषा लाठी की होती है, जो जिम्मेदारी और रिश्तों की मजबूती सिखाती है।"

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