यहां अपनी ही शादी में दूल्हा नहीं होता शामिल, दूल्हे की बहन ब्याह कर घर लाती है भाभी को

अजब गजब न्यूज डेस्क !!! हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से शादियां की जाती हैं। शादी के समय दूल्हा-दुल्हन कई रस्में निभाते हैं। ये रीति-रिवाज देश के अलग-अलग हिस्सों में समाज के हिसाब से भी अलग-अलग होते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अजीब शादी की परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जी हां, मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक आदिवासी गांव में दूल्हे के बिना ही बारात निकलती है। इतना ही नहीं, यहां दूल्हा शादी से पहले अपनी बहन दुल्हन के साथ सात फेरे लेता है।
मध्य प्रदेश की सीमा से लगे आदिवासी इलाके अंबाला, सुरखेड़ा और सनेड़ा गांवों में जब बारात निकलती है तो दूल्हा नहीं जाता है. यह परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है। इतना ही नहीं, यहां दूल्हा नहीं बल्कि उसकी बहन दुल्हन के साथ सात फेरे लेती है। मध्य प्रदेश से लगे इन इलाकों में आज भी यह परंपरा निभाई जाती है.
आदिवासी समुदाय के लोगों का मानना है कि भगवान भारमदेव अंबाला गांव के ठीक पास एक पहाड़ी पर निवास करते हैं, जिनकी आदिवासी समुदाय पूजा करता है। ऐसा माना जाता है कि हर महादेव कुंवारे थे और इसीलिए अंबाला सुरखेड़ा और सनेड़ा गांव में दूल्हे बारात में नहीं जाते वरना उनकी मृत्यु हो जाती है। भगवान भारमा के क्रोध से बचने के लिए, दूल्हे की बहन बारात का नेतृत्व करती है और दुल्हन के साथ सात फेरे लेती है।
यहां अपनी ही शादी में नहीं जाता दूल्हा, बहन लेती है दुल्हन संग फेरे
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ग्रामीणों का कहना है कि कुछ साल पहले तीन युवकों ने इस परंपरा का पालन नहीं किया और अपनी बारात लेकर पहुंच गए। जिसके बाद किसी कारणवश तीनों की मौत हो गई. लोगों का मानना है कि यह भगवान ब्रह्मा का प्रकोप है और तब से किसी भी युवक ने अपनी बारात नहीं निकाली है। इस समुदाय में शादी की तारीख तय होने के बाद दूल्हा घर नहीं छोड़ता। जब भी कोई शादी होती है तो दुल्हन जब अपनी बहन का फेरा लेकर गांव के बाहरी इलाके में पहुंचती है तो दूल्हा उससे शादी करता है और फिर दुल्हन को घर ले आता है।