यहां मुस्लिम लोग भी करते हैं हिंदुओं के लोक देवता की पूजा, वीडियो में जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा

भारत विविधताओं से भरा देश है, लेकिन इन विविधताओं के बीच सबसे खूबसूरत चीज है – सांप्रदायिक एकता और आपसी भाईचारा। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में स्थित एक ऐसा दरबार है, जो इसकी सबसे बड़ी मिसाल पेश करता है। हम बात कर रहे हैं बाबा रामदेव पीर के दरबार की, जहां ना सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिम श्रद्धालु भी पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ शीश झुकाते हैं।
यह कोई आम मंदिर नहीं है – यह एक लोक आस्था का अद्भुत केंद्र है, जहां धर्म की दीवारें खुद-ब-खुद गिर जाती हैं और इंसानियत सबसे बड़ा धर्म बन जाती है।
कौन हैं बाबा रामदेव?
बाबा रामदेव को हिंदू धर्म में भगवान का अवतार माना जाता है, जिन्होंने समाज में फैले भेदभाव, छुआछूत और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उनका जन्म 15वीं शताब्दी में राजस्थान के पोकरण के पास रुणिचा गांव (अब रामदेवरा) में हुआ था। बचपन से ही उनमें अलौकिक शक्तियां देखी गईं और उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और पीड़ितों की सेवा में लगा दिया।
क्यों करते हैं मुस्लिम भी उनकी पूजा?
मुस्लिम समाज बाबा रामदेव को "रामसा पीर" के नाम से जानता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, बाबा की ख्याति जब दूर-दूर तक फैलने लगी तो अजमेर से पांच पीर उनसे मिलने आए, यह जानने कि क्या वे सच में ईश्वर के साक्षात रूप हैं। जब उन्होंने बाबा की शक्ति और विनम्रता को देखा, तो वे उनके मुरीद हो गए और बाबा को "पीर" की उपाधि दी।
कहा जाता है कि उन पांचों पीरों की मजार आज भी बाबा रामदेव की समाधि के पास बनी हुई है, जो यह दर्शाती है कि हिंदू-मुस्लिम एकता की जड़ें कितनी गहरी हैं।
दरबार की विशेषता
रामदेवरा में स्थित बाबा का यह दरबार आज भी एक धार्मिक संगम स्थल है। यहां मुस्लिम श्रद्धालु चादर चढ़ाते हैं, तो हिंदू प्रसाद और कपड़े का घोड़ा। बाबा के भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यही कारण है कि हर साल लाखों लोग यहां दर्शन करने आते हैं।