यहां मुस्लिम लोग भी करते हैं हिंदुओं के लोक देवता की पूजा, वीडियो में जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा

जिले में भारत की आजादी से पहले बने बहुत कम मंदिर हैं। 1947 से पहले बने मंदिर या तो रख-रखाव के कारण अस्तित्व में नहीं रहे या फिर ध्वस्त कर दिए गए। लेकिन सीकर जिले में लोकदेवता रामदेव जी महाराज का एक ऐसा आजादी से पहले का मंदिर है। जिसे न पंडितों ने, न राजाओं ने, न गांव वालों ने, बल्कि पाकिस्तान के लाहौर में काम करने गए मजदूरों ने बनवाया था। यह मंदिर अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है। इस मंदिर में हमेशा धार्मिक सद्भाव देखने को मिलता है। इस मंदिर में हिंदू हो या मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग बाबा रामदेव की पूजा करने आते हैं।
सीकर जिले के पचार गांव में मुख्य बस स्टैंड और मुख्य बाजार के बीच लोक देवता रामदेव जी महाराज का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1932 में हुआ था। जानकारी के मुताबिक यह मंदिर उस समय क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर था। लोक देवता रामदेव जी महाराज के अधिकांश मंदिरों में कामड़ समाज के पुजारी होते हैं। कामड़ समाज के रामदेव जी महाराज आराध्य देव हैं। लेकिन इस मंदिर में गढ़वाल समाज के पुजारी कई दशकों से बाबा रामदेव की पूजा करते आ रहे हैं, ज्यादातर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग बाबा रामदेव की पूजा करते हैं। इसके साथ ही इस मंदिर में मुस्लिम भी बाबा रामदेव की पूजा करने आते हैं।
जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर के पुजारी प्रह्लाद गढ़वाल ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण 1932 में हुआ था. इस मंदिर को बनाने में मजदूरों का काफी सहयोग रहा है। क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्र के मजदूर वर्तमान लाहौर के पाकिस्तान क्षेत्र में मजदूरी करने जाते थे। ऐसे में जब भी वे यहां से लाहौर के लिए टीम बनाते तो रास्ते में जैसलमेर स्थित रामदेवरा में रामदेव जी महाराज के दर्शन करने जरूर जाते थे. ऐसे में धीरे-धीरे मजदूरों की रामदेव जी महाराज के प्रति आस्था बढ़ने लगी. जिसके बाद रामदेवरा स्थित रामदेव जी महाराज के मंदिर के पुजारी ने गांव के बारे में बताया तो उन्होंने गांव में रामदेव जी महाराज का मंदिर बनाने के लिए कहा. जिसके बाद मजदूरों ने अपनी दैनिक कमाई का 10% हिस्सा मंदिर निर्माण के लिए देना शुरू कर दिया. करीब 1 साल तक पैसे बचाने के बाद गांव में इलाके का सबसे बड़ा रामदेव जी महाराज का मंदिर बनाया गया.
बाबा रामदेव के भक्त विक्रम मीना ने बताया कि गांव में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी बाबा की पूजा करते हैं. मुस्लिम धर्म के लोग बाबा रामदेव जी को रामसापीर का अवतार मानते हैं। जिसके कारण वह उनकी पूजा करते हैं। यहां हर माह की दसवीं तारीख को भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग आकर भजन कीर्तन करते हैं।
मनोकामना पूरी होने पर भक्त कपड़े के घोड़े चढ़ाते हैं
विक्रम मीना ने बताया कि बाबा रामदेव जी के भक्तों को घोड़ला कहा जाता है। जिले से लाखों श्रद्धालु बाबा रामदेव जी के दर्शन के लिए रामदेवरा जाते हैं। पचार गांव में स्थित बाबा रामदेव जी के मंदिर की खासियत यह है कि जब भी किसी भक्त की कोई मनोकामना पूरी होती है तो वह यहां आता है और मंदिर में कपड़े का घोड़ा चढ़ाता है। जानकारी के मुताबिक, गांव के लोग अपने रोजगार से 2 से 10 फीसदी रकम बचाकर मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं और इन पैसों से मंदिर की मरम्मत कराई जाती है.