यहां मौजूद है यमराज का कुंआ, जो देता है मौत का संकेत

हमारे देश में कई ऐसी रहस्यमयी चीजें हैं जिनका रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है। वहीं, हमारे देश में कुछ धार्मिक स्थलों के प्रति लोगों की इतनी आस्था है कि उन पर विज्ञान के नियमों को भी नहीं माना जाता है। ऐसी ही एक जगह यूपी के बनारस में भी है. मणिकर्णिका घाट और काशी विश्वनाथ बाबा के मंदिर के अलावा यहां हिंदू धर्म के कई रहस्य छिपे हैं। इस शहर में धर्मराज यमराज से जुड़ी जानकारियां और संकेत मिलते हैं। यहां एक मंदिर है, जिसमें एक रहस्यमयी कुआं है। यह कुआं भक्तों को उनकी मृत्यु के बारे में संकेत देता है।
यह मंदिर मीरघाट के शीर्ष पर बना हुआ है। इस मंदिर का नाम धर्मेश्वर महादेव मंदिर है और यहां एक धर्मकूप भी है। खबरों के मुताबिक, मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस कुएं का इतिहास गंगा के धरती पर आने से पहले का है। इसका निर्माण सूर्य पुत्र यम ने किया था। यह भी माना जाता है कि गंगा अवतरण से पहले धर्मराज यम ने यहां तपस्या की थी।
माना जाता है कि यह रहस्यमयी कुआं मौत का संकेत देता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर इस कुएं में किसी व्यक्ति की परछाई न दिखे तो अगले 6 महीने में उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। साथ ही इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यताएं हैं कि यहां भगवान शिव और यमराज देव एक साथ विराजमान हैं। यहां के लोगों के बीच मान्यता है कि धर्मेश्वर महादेव के प्राचीन मंदिर में बने धर्म कूप का निर्माण स्वयं यमराज ने किया था। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की परछाई कुएं में नहीं दिखती, उस व्यक्ति की अगले 6 महीने में मृत्यु हो जाती है। हालाँकि, इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है लेकिन आसपास के लोगों का ऐसा मानना है।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव पृथ्वी पर मरने वाले लोगों को स्वर्ग या नरक में ले जाने की व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच यमराज भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे, लेकिन यमराज को भगवान शिव को प्रसन्न करने में सफलता नहीं मिल रही थी। इस पर भगवान विष्णु ने यमराज को एक तालाब बनाने और उसमें स्नान करके भगवान की तपस्या करने की सलाह दी। इसके बाद यमराज ने वैसा ही किया और भगवान शिव यमराज से प्रसन्न हुए, जिसके बाद भगवान ने यमराज को स्वर्ग और नर्क जाने वाले लोगों की जिम्मेदारी दी। साथ ही यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने यमराज को नाम दिया था, तभी से यह प्रथा चली आ रही है कि अगर किसी को कुएं में छाया न दिखे तो 6 महीने के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है।