दुनिया के इतिहास में कई देशों ने आर्थिक संकट का सामना किया है, लेकिन वेनेजुएला की वर्तमान स्थिति उन सभी में एक बेहद डरावना उदाहरण बन चुकी है। एक ऐसा देश जहां पेट भरने के लिए इंसान को करोड़ों में भुगतान करना पड़ रहा है, और एक किलो टमाटर या चावल खरीदना भी एक आम नागरिक के लिए सपना बन गया है।
आज वेनेजुएला की हालत देखकर यह समझना आसान है कि महंगाई (Hyperinflation) जब काबू से बाहर हो जाती है, तो वह देश की अर्थव्यवस्था, जनता और शासन – सब कुछ बर्बाद कर देती है।
क्या है वेनेजुएला में महंगाई की स्थिति?
वेनेजुएला की करेंसी "बोलीवर" आज इतनी कमजोर हो चुकी है कि इसकी गिनती शून्य के बराबर की जाती है। यहां एक नॉन वेज थाली की कीमत 1 करोड़ बोलीवर है। एक किलो टमाटर 50 लाख बोलीवर, और एक कप कॉफी 25 लाख बोलीवर में बिक रहा है।
भारत में जहां 20 रुपए में एक किलो आलू मिल जाता है, वहीं वेनेजुएला में 20 लाख बोलीवर चुकाने पड़ते हैं। एक किलो गाजर की कीमत 30 लाख, चावल की कीमत 25 लाख, और पनीर की कीमत 75 लाख बोलीवर तक पहुंच चुकी है।
यानी, किसी भी साधारण भोजन की कीमत करोड़ों बोलीवर तक जा पहुंची है – जो एक मध्यमवर्गीय नागरिक की औकात से कोसों दूर है।
कैसे बिगड़े हालात?
वेनेजुएला कभी दक्षिण अमेरिका का समृद्ध और तेल-सम्पन्न देश था। लेकिन निकोलस मादुरो के राष्ट्रपति बनने के बाद से आर्थिक नीतियों में असंतुलन और भ्रष्टाचार ने देश को गर्त में पहुंचा दिया।
तेल के निर्यात पर निर्भर देश में तेल के दाम गिरते ही आर्थिक संकट शुरू हुआ। सरकार ने बिना योजना के नोट छापना शुरू किया, जिससे मुद्रा का मूल्य गिरता चला गया। नतीजा – महंगाई आसमान छूने लगी, और हर वस्तु लाखों-करोड़ों बोलीवर में बिकने लगी।
जनता की हालत: भूखमरी और पलायन
वर्तमान में वेनेजुएला की लगभग 90% आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रही है। इनमें से 60% लोग भूखमरी का शिकार हैं।
मुद्रा की कोई कीमत नहीं बची है – यहां करोड़ों बोलीवर जेब में रखने के बावजूद भी कुछ खरीद पाना नामुमकिन हो गया है। देश की करेंसी इतनी अवमूल्यित हो चुकी है कि लोग अब उसे कागज की तरह फेंक रहे हैं या हस्तशिल्प में इस्तेमाल कर रहे हैं।
खराब आर्थिक स्थिति के कारण लाखों लोग देश छोड़ चुके हैं। कोलंबिया, ब्राजील, और अमेरिका जैसे देशों में शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
सरकार की नाकामी और बेतुके समाधान
सरकार ने अब हालात सुधारने के लिए न्यूनतम मजदूरी में 3000% की बढ़ोतरी की बात की है। लेकिन जब वस्तुओं की कीमतें लाखों में हैं, तो यह बढ़ोतरी भी अर्थहीन हो जाती है।
एक और उपाय के तहत सरकार अब पुराने नोटों को हटाकर नई मुद्रा 'सॉवरनि बोलिवर' ला रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ “मेकअप” जैसा समाधान है।
भारत और बाकी दुनिया के लिए सबक
वेनेजुएला की कहानी एक कड़वा सबक है – कि आर्थिक नीतियों की असफलता, भ्रष्टाचार, और लोकलुभावन घोषणाएं किसी भी देश को तबाह कर सकती हैं।
यह उदाहरण बताता है कि सिर्फ प्राकृतिक संसाधन होना काफी नहीं होता – उनके कुशल प्रबंधन और जवाबदेह शासन की भी उतनी ही आवश्यकता है।
निष्कर्ष
आज वेनेजुएला में हर आम चीज़ 'अमूल्य' हो चुकी है – इस अर्थ में नहीं कि उसकी कीमत ज्यादा है, बल्कि इस अर्थ में कि उसे खरीद पाना आम लोगों के लिए नामुमकिन है।
यह केवल वेनेजुएला की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि अगर आर्थिक अनुशासन, पारदर्शिता और स्थायित्व न हो, तो कैसे एक समृद्ध देश भी विनाश की ओर बढ़ सकता है।

