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चमत्कार को नमस्कार! बिजली जाने पर मां काली की प्रतिमा को निकलने लगता है पसीना, दिन रात चलता है एसी, वीडियो में देखें कैसे होता है ये चमत्कार

इसे आस्था या अंधविश्वास तो नहीं कहा जा सकता। हां अजूबा जरूर. इंसानों को गर्मी में खाना खिलाना तो आम है लेकिन मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां स्थापित मां काली की मूर्ति को खाना खिलाना आता है। पालतू जानवर को देखा जा सकता है। माता को इतना....
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इसे आस्था या अंधविश्वास तो नहीं कहा जा सकता। हां अजूबा जरूर. इंसानों को गर्मी में खाना खिलाना तो आम है लेकिन मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां स्थापित मां काली की मूर्ति को खाना खिलाना आता है। पालतू जानवर को देखा जा सकता है। माता को इतना भोजन मिलता था कि पुजारियों को उनके वस्त्रों की रूपरेखा तक मिल जाती थी। असल में उन्होंने वहां एसी लगाया ताकि मां काली को हीट न मिल सके।

शारदेय नवरात्र की शुरुआत के साथ ही देवी मंदिरों के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं। इस खास बात पर शहर के उन ऐतिहासिक स्मारकों का जिक्र करना भी जरूरी है जहां के रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। ऐसा ही एक मंदिर है संस्कारधानी जबलपुर में। गोंड काली माँ के दरबार में कई रहस्य छुपे हुए हैं। इनका राज आज भी राज है. मंदिर का प्रमुख सिद्धांत यह है कि अगर मंदिर में लाइट बंद हो जाए तो मां को इतना प्रसाद मिलता है कि कई वस्त्राभूषण लगाए जाते हैं। अब मंदिर में 24 घंटे एसी रहती है ताकि मां को खाना ना मिले.


मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में लगभग 600 साल पहले काली माँ की इस भव्य मूर्ति की स्थापना गोंडवाना साम्राज्य के दौरान हुई थी। कहते हैं तब से ही माता की प्रतिमा को जरा सी भी गर्मी सहन नहीं होती। मूर्ति को खाना आना लगता था. आशय अवैद्य ने सबसे पहले नॉर्वेजियन रिपब्लिक की स्थापना की। लेकिन उसके बाद जब भी माँ काली को खिलाने आती है तब वहाँ एसी लगवाती है जो दिन रात रहती है।

कभी-कभी तकनीकी आरोपियों की वजह से या बिजली की चाल से देखा जा सकता है अगर एसी बंद नहीं होता है तो फिर काली मां की मूर्ति से मूर्ति वाले को साफ किया जा सकता है। वैज्ञानिकों की बात तो ये है कि काली माता के शिकार के बारे में कई बार खोज की जा चुकी है लेकिन विज्ञान को इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला.

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