गिटार राव हैं दुनिया के सबसे कम फीस लेने वाले टीचर, एक रुपये में देते हैं संगीत की शिक्षा

दुनियाभर में आज के समय में पैसा सबसे बड़ी जरूरत और लक्ष्य बन चुका है। लोग सफलता और सम्मान के लिए पैसों के पीछे दौड़ते हैं, कभी-कभी पैसे की वजह से रिश्ते भी टूट जाते हैं। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करते हैं और अपनी कला को सभी तक पहुंचाने का काम करते हैं। ऐसा ही एक अनोखा और प्रेरणादायक नाम है एसवी राव का, जिन्हें लोग प्यार से "गिटार राव" के नाम से जानते हैं।
एसवी राव की उम्र लगभग 55 साल है और वे पेशे से एक सिविल इंजीनियर हैं। लेकिन आजकल वे दिल्ली के आंध्र भवन के सामने फुटपाथ पर एक रुपये की मामूली फीस लेकर गिटार और संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। गिटार राव की कहानी जितनी सरल है, उतनी ही प्रेरणादायक भी है।
कई सालों तक उन्होंने एक निजी कंपनी में सिविल इंजीनियर के रूप में काम किया, लेकिन अचानक ही कर्ज की मार ने उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी। आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी और तिरुपति चले गए। तिरुपति में उन्होंने संगीत सीखना शुरू किया। संगीत ने उनके जीवन में नई ऊर्जा भर दी और उनका तनाव कम करने का काम किया। संगीत के प्रति उनकी लगन और जुनून ने उन्हें एक नया रास्ता दिखाया।
इसके बाद उन्होंने ठाना कि वे संगीत की शिक्षा हर किसी तक पहुंचाएंगे, खासकर उन लोगों तक जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिनके पास महंगी शिक्षा लेने के संसाधन नहीं हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने दिल्ली के आंध्र भवन के बाहर फुटपाथ पर जाकर बच्चों को गिटार सिखाना शुरू किया। शुरूआत में शायद कोई खास ध्यान नहीं दिया, लेकिन धीरे-धीरे लोग उनकी कला और समर्पण से प्रभावित होने लगे।
आज एसवी राव रोजाना फुटपाथ पर विभिन्न उम्र के छात्रों को गिटार सिखाते हैं। इनके छात्र सिर्फ बच्चे ही नहीं हैं, बल्कि इंजीनियरिंग के छात्र, पुलिसकर्मी और अन्य कई लोग भी यहां संगीत सीखने आते हैं। राव के अनुसार, अब तक वे 1000 से ज्यादा लोगों को गिटार बजाना सिखा चुके हैं। गिटार के अलावा वे बांसुरी, की-बोर्ड और वायलिन जैसे अन्य संगीत वाद्य भी बजा सकते हैं और अपनी कला का विस्तार कर रहे हैं।
गिटार राव की फीस मात्र एक रुपये है। इतनी कम फीस लेना उनके लिए केवल एक प्रतीक है ताकि लोग संगीत को मुफ्त या बेहद कम लागत में सीख सकें। उनका मानना है कि संगीत किसी भी व्यक्ति के लिए महंगा या सीमित नहीं होना चाहिए। संगीत सभी के लिए एक सहज और आनंददायक कला होनी चाहिए, जिसे हर कोई सीख सके।
उनका सपना बड़ा है। वे चाहते हैं कि भारत सरकार, खासकर प्रधानमंत्री, स्वच्छ भारत अभियान की तरह एक “संगीत भारत अभियान” चलाएं। इस अभियान के तहत देश के सभी वर्गों के लोग संगीत सीखें और इसके माध्यम से जीवन में सुख और आनंद पाएं। उनका मानना है कि संगीत न केवल लोगों के मानसिक तनाव को कम करता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का भी माध्यम बन सकता है।
गिटार राव की कहानी हमें यह सिखाती है कि पैसे की दौड़ में यदि हम अपनी कला, जुनून और दूसरों की मदद करने का जज़्बा बनाए रखें, तो हम समाज में एक अलग पहचान बना सकते हैं। वे साबित करते हैं कि सफलता केवल बड़ी कमाई या नाम कमाने में नहीं है, बल्कि दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में भी होती है।
आज एसवी राव की पहल ने कई लोगों के जीवन में संगीत के प्रति प्रेम और रुचि जगाई है। उनके छोटे-छोटे कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे और युवा अब संगीत के जरिए खुद को बेहतर समझने लगे हैं। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है, चाहे आर्थिक परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
इस तरह, गिटार राव का उदाहरण हमें दिखाता है कि असली कला और शिक्षा वह है जो बिना किसी स्वार्थ के सबके लिए उपलब्ध हो। उनके योगदान से यह भी समझ में आता है कि संगीत और कला जीवन के तनावों से उबरने का सबसे सुंदर तरीका है। वे एक सच्चे शिक्षक हैं, जो केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि इंसानियत का भी सबक देते हैं।