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36 किलोमीटर लंबी दीवार के भीतर छिपा खौफ, 3 मिनट के वीडियो में देखे कुम्भलगढ़ किले की वो सच्चाई जिसे जानकर कांप उठेगी रूह

36 किलोमीटर लंबी दीवार के भीतर छिपा खौफ, 3 मिनट के वीडियो में देखे कुम्भलगढ़ किले की वो सच्चाई जिसे जानकर कांप उठेगी रूह

राजस्थान की धरती अपने शौर्य, भव्य किलों और अद्भुत विरासतों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है कुम्भलगढ़ किला, जो न केवल अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके भीतर छिपे कुछ खौफनाक रहस्यों और रहस्यमयी घटनाओं के कारण भी चर्चा में रहता है। अरावली की पहाड़ियों में बसा यह किला एक समय मेवाड़ के महाराणा कुंभा की शक्ति और रणनीति का प्रतीक था, लेकिन आज इसकी चुपचाप खड़ी दीवारें मानो कुछ अनकहे भयावह किस्सों को सहेजे हुए हैं।


36 किलोमीटर लंबी दीवार के भीतर छुपे सन्नाटे
कुम्भलगढ़ किले की सबसे बड़ी खासियत इसकी 36 किलोमीटर लंबी परकोटा दीवार है, जिसे भारत की "ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया" भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दीवार के भीतर सैकड़ों वर्षों से कई रहस्यमयी घटनाएं होती रही हैं? स्थानीय लोगों की मानें तो इस किले की दीवारों के पास रात के समय अनजानी आहटें, घोड़ों की टापें, और स्त्रियों के रोने की आवाजें तक सुनाई देती हैं। कई पर्यटक और गार्ड्स भी इस तरह की घटनाओं का अनुभव कर चुके हैं, जो इसे एक भूतहा जगह में तब्दील कर देती हैं।

बलिदान की वो काली छाया
कहते हैं, जब इस किले की नींव रखी जा रही थी, तब लाख कोशिशों के बावजूद निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। तब एक संत ने भविष्यवाणी की कि किसी इंसान की बलि देने के बाद ही किला बन पाएगा। एक साधु ने स्वयं को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया, और उसकी बलि की जगह पर आज भी एक मंदिर बना हुआ है – जिसे लोग आज भी रहस्यमयी और ऊर्जा से भरा स्थान मानते हैं। इस स्थान पर आज भी लोगों को गाढ़ा सन्नाटा और मानसिक बेचैनी महसूस होती है।

रात में क्यों बंद हो जाता है किला?
कुम्भलगढ़ किले की एक और रहस्यमयी बात यह है कि यह किला सूर्यास्त के बाद आम जनता के लिए बंद कर दिया जाता है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा कारणों से ऐसा किया जाता है, लेकिन कई लोग इसे अलौकिक शक्तियों की उपस्थिति से जोड़ते हैं। बहुत से स्थानीय लोग दावा करते हैं कि रात के समय किले में किसी अनदेखी शक्ति की हलचल महसूस होती है और कई बार किले के पुराने महल भागों से रोशनी और छाया दिखती हैं, जिनका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता।

भटकती आत्माएं और इतिहास का दर्द
कुम्भलगढ़ का इतिहास रक्त और युद्धों से सना हुआ है। राणा कुंभा से लेकर महाराणा प्रताप तक, इस किले ने कई राजाओं और सेनानायकों की शहादत देखी है। लोककथाओं के अनुसार, यहां कई वीर सैनिकों और निर्दोषों की आत्माएं आज भी भटकती हैं, जिनकी अधूरी इच्छाएं उन्हें मुक्ति नहीं लेने देतीं। खासकर अमावस्या और पूर्णिमा की रातों में यहां अजीब घटनाएं और आवाजें सुनाई देना आम बात मानी जाती है।

विदेशी पर्यटकों के रहस्यमयी अनुभव
कुछ विदेशी पर्यटकों ने भी इस किले में भूतिया अनुभवों की पुष्टि की है। कुछ ने अपने होटल के कमरे में अजीब परछाइयाँ देखीं, तो कुछ को किले के भीतर घूमते हुए अचानक ठंड लगने, कंपकंपी और डर का अनुभव हुआ। कुछ वीडियो फुटेज में अचानक से बंद होते दरवाजे, अपने आप हिलती खिड़कियां और रात में रोशनी का रहस्यमयी खेल भी देखा गया है।

डर और रोमांच का केंद्र बना पर्यटन स्थल
आज कुम्भलगढ़ किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, लेकिन इसके साथ-साथ यह उन लोगों के लिए भी एक रहस्यमयी और डरावनी जगह बन चुका है, जो परामनोविज्ञान (paranormal) में विश्वास रखते हैं। कई पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर्स इस किले में रात्रि जांच के लिए आ चुके हैं और उन्होंने अजीब ऊर्जा, EMF रेडिएशन और unexplained sounds रिकॉर्ड किए हैं।

क्या सच में है कुछ अलौकिक?
अब सवाल उठता है – क्या कुम्भलगढ़ किला सच में भूतिया है? या ये सब सिर्फ लोककथाओं और डरावनी कहानियों की उपज है? इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन जिस प्रकार से वर्षों से रहस्यमयी घटनाएं दर्ज होती आई हैं, वह इसे एक ऐसा स्थल बना देती हैं जो इतिहास, संस्कृति और रहस्य – तीनों का अनोखा संगम है।
 

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