हर रात तीन रानियों के जौहर की दर्दनाक चीखों से गूंज उठता है चित्तौड़गढ़ किला, वायरल फुटेज में देखे किले का खौफनाक राज़

राजस्थान के ऐतिहासिक किलों में से एक चित्तौड़गढ़ किला, अपनी भव्यता और वीरता की कहानियों के साथ-साथ रहस्यमय भूतिया कथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यह किला न केवल भारतीय इतिहास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी प्राचीन दीवारों के पीछे छुपा एक ऐसा भयानक राज है, जो आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है। कहा जाता है कि इस किले में तीन महान रानियां—रानी कर्णावती, रानी पद्मावती और रानी फूल कंवर—के जौहर की दर्दनाक चीखें आज भी गूंजती हैं। इस लेख में हम आपको चित्तौड़गढ़ किले के उस भूतिया रहस्य के बारे में बताएंगे, जिसने सदियों से लोगों के मन में खौफ पैदा किया है।
चित्तौड़गढ़ किले का ऐतिहासिक महत्व
चित्तौड़गढ़ किला, जिसे ‘राणा किला’ भी कहा जाता है, मेवाड़ के राजपूतों की राजधानी रहा है। इसकी स्थापत्य कला, विशाल दीवारें और किले की रणनीतिक बनावट इसे इतिहास के पन्नों में अमर बनाती हैं। परन्तु इस किले की सबसे खास पहचान इसके वीर इतिहास के साथ-साथ जौहर की वह कुप्रसिद्ध परंपरा है, जिसमें रानियों और महिलाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए।
तीन रानियों का जौहर और किले का दर्दनाक इतिहास
इतिहास में वर्णित है कि चित्तौड़गढ़ किले में तीन बार जौहर हुआ था, जिसमें हजारों महिलाओं ने अपने आप को आग में झोंक दिया था, ताकि वे दुश्मनों के हाथ न पड़ें। विशेष रूप से तीन रानियां—रानी कर्णावती, रानी पद्मावती और रानी फूल कंवर—के जौहर की कहानियां अत्यंत मार्मिक और दर्दनाक हैं।
रानी कर्णावती: 16वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अकबर के हमले के दौरान रानी कर्णावती ने अपने प्राण त्यागने के लिए जौहर किया। उनकी वीरता और साहस की कहानियां आज भी राजस्थान के लोकगीतों और किस्सों में जीवित हैं। कहते हैं कि उनकी आत्मा आज भी किले के कुछ खास हिस्सों में विचरण करती है।
रानी पद्मावती: रानी पद्मावती का नाम इतिहास में उनके सौंदर्य और शौर्य के लिए अमर है। जब अलाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला किया, तो रानी पद्मावती ने जौहर कर अपनी और अन्य महिलाओं की जान बचाई। उनके जौहर की चीखें और भीषण पीड़ा की आहें आज भी किले के कोनों में सुनाई देती हैं।
रानी फूल कंवर: शायद कम लोगों को पता हो कि रानी फूल कंवर ने भी एक बार जौहर किया था। उनकी आत्मा के दर्दनाक रोने की आवाज़ें आज भी चित्तौड़गढ़ के कुछ स्थानों पर सुनाई देती हैं, जो स्थानीय लोगों में डर और कयामत की आशंका जगाती हैं।
किले में गूंजती चीखें और भूतिया घटनाएं
किले में रात के समय कुछ ऐसा माहौल होता है कि वहां मौजूद लोग अनजाने डर से कांप उठते हैं। स्थानीय लोगों और पर्यटकों की मानें तो रात में तीन रानियों की जौहर की चीखें और दर्दनाक आवाज़ें स्पष्ट रूप से सुनाई देती हैं। कई बार तो उनके रोने की गूंज इतनी तेज होती है कि लोगों को वहां से भागने की नौबत आ जाती है।किले के कई हिस्सों में अचानक ठंडी हवाओं का गुजरना, बिना किसी कारण के पन्नों का फड़फड़ाना, और अनजान आवाज़ें सुनाई देना यहां के भूतिया माहौल को और भी भयानक बना देते हैं। कई लोगों ने यहां अपने कैमरे में अजीबोगरीब छायाएं कैद की हैं, जो वैज्ञानिक रूप से भी समझ से बाहर हैं।
स्थानीय मान्यताएं और भूतिया कहानियां
चित्तौड़गढ़ के स्थानीय लोग मानते हैं कि ये चीखें और आवाज़ें इन रानियों की आत्माओं की हैं, जो अपने जौहर और बलिदान की याद दिलाती हैं। उनके अनुसार, ये आत्माएं किले की रक्षा करती हैं और इस प्राचीन किले को किसी भी खतरे से बचाने का काम करती हैं।कुछ बुजुर्ग बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति रात में अकेले किले के अंदर घूमे तो वह इन आत्माओं की मौजूदगी को महसूस कर सकता है। कई बार यहां कुछ जगहों पर प्रकाश की झलक भी दिखाई देती है, जिसे लोग रानियों की आत्माओं का संकेत मानते हैं।
किले का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
चित्तौड़गढ़ किला न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति और वीरता का प्रतीक भी है। यहां के जौहर की कहानियां, खासकर तीन रानियों के बलिदान की कथा, आज भी लोगों के दिलों में देशभक्ति और सम्मान की भावना जगाती हैं।भले ही किले की दीवारें वर्षों से टूटी-फूटी हो गई हों, पर उसकी आत्मा आज भी जीवित है। यह आत्मा इतिहास की उन कहानियों को जीवित रखती है, जो हमें हमारे पूर्वजों के साहस, बलिदान और समर्पण की याद दिलाती हैं।
आधुनिक युग में चित्तौड़गढ़ का पर्यटन
आज चित्तौड़गढ़ किला देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। इसके इतिहास, वास्तुकला और भूतिया कहानियों के कारण यह जगह हर किसी के लिए रोचक है। रात के समय यहां आयोजित होने वाले लाइट एंड साउंड शो में भी इन जौहर की कहानियों को दर्शाया जाता है, जिससे इतिहास और लोककथाओं का एक अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
चित्तौड़गढ़ किले की भूतिया कहानियां और तीन रानियों कर्णवती, पद्मावती और फूल कंवर के जौहर की दर्दनाक चीखें आज भी इस किले के हर एक कोने में गूंजती हैं। ये आवाज़ें हमें इतिहास की याद दिलाती हैं, जब देशभक्ति और सम्मान के लिए जीवन की आहुति दी गई थी। चाहे आप इतिहास के प्रेमी हों या रहस्यमय कहानियों के शौकीन, चित्तौड़गढ़ किला आपके लिए एक ऐसा स्थल है जहां आप वीरता, बलिदान और भूतिया रहस्यों का अनूठा संगम देख सकते हैं।