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पानी का सैलाब भी भोलेनाथ के मंदिर को हिला नहीं सका, जानें हिमाचल के इस 'केदारनाथ' की कहानी

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हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ के कारण इलाके में जबरदस्त पानी का सैलाब आया। लेकिन इस प्राकृतिक आपदा ने भी भोलेनाथ के इस मंदिर को हिला नहीं पाया। नदी का जलस्तर बढ़ने और आस-पास का क्षेत्र जलमग्न होने के बावजूद मंदिर की नींव मजबूत बनी रही और यह सुरक्षित रहा। इस घटना ने इस मंदिर की स्थिरता और अटल विश्वास की कहानी को और गहरा कर दिया।

‘हिमाचल का केदारनाथ’ क्यों कहा जाता है?

यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है, जैसे केदारनाथ। पहाड़ों की गोद में स्थित इस मंदिर का वातावरण अत्यंत पवित्र और शांति से भरपूर है। मंदिर का स्थापत्य भी पहाड़ी शैली में है, जो हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। इसलिए इसे ‘हिमाचल का केदारनाथ’ कहा जाता है।

मंदिर की धार्मिक महत्ता

यह शिव मंदिर स्थानीय लोगों के लिए असीम श्रद्धा का केंद्र है। माना जाता है कि यहां भोलेनाथ की विशेष कृपा रहती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। त्योहारों और विशेष अवसरों पर हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यहां की पूजा-अर्चना और भव्य आयोजन भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।

प्रकृति के खिलाफ मंदिर की कहानी

यह मंदिर यह भी दर्शाता है कि भले ही प्राकृतिक आपदाएं कितनी भी भयंकर हों, आस्था और विश्वास की शक्ति से इंसान और उसके बनाए हुए धार्मिक स्थल असाधारण कठिनाइयों से भी पार पा सकते हैं। यह कहानी हिमाचल प्रदेश के लोगों की दृढ़ता, उनके धार्मिक विश्वास और प्रकृति के प्रति सम्मान की भी मिसाल है।

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