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क्या सच में मोती की बूंद जैसा दिखाई देता है मोती डुंगरी स्थित भगवान गणेश का मंदिर? जानें इसके पीछे की आलोकिक कथा

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राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि अपनी वास्तुकला और विशिष्टता के कारण दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है और इसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे मोती की कोई बूंद भूमि पर टिकी हो।

मोती डूंगरी मंदिर की विशेष वास्तुकला

जयपुर शहर के बीचोंबीच बनी यह छोटी-सी पहाड़ी जिसे "मोती डूंगरी" कहा जाता है, उस पर सफेद पत्थरों से बना यह गणेश मंदिर स्थापत्य कला का अनूठा नमूना है। यह मंदिर नागर शैली में बना हुआ है और इसका गुंबद, स्तंभ तथा नक्काशीदार द्वार इसे अत्यंत भव्य बनाते हैं। जब सूर्य की किरणें मंदिर के सफेद गुंबदों पर पड़ती हैं, तो यह चमकने लगता है और दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो मोती की एक बूंद पहाड़ी पर सजी हो। इसी कारण इसे ‘मोती डूंगरी गणेश मंदिर’ कहा जाता है।

मंदिर से जुड़ी आलौकिक कथा

इस मंदिर के निर्माण और स्थापना से जुड़ी एक बेहद चमत्कारी और आलौकिक कथा है। कहा जाता है कि भगवान गणेश की यह मूर्ति मूल रूप से महाराष्ट्र के किसी गांव में स्थापित थी। जयपुर के तत्कालीन राजा मदो सिंह प्रथम एक बार यात्रा पर निकले थे और रास्ते में उन्होंने इस अद्भुत गणेश प्रतिमा को देखा। राजा उस मूर्ति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस मूर्ति को जयपुर लाने का निर्णय लिया। किंवदंती के अनुसार, राजा ने घोषणा की कि जिस स्थान पर यह रथ (जिस पर मूर्ति थी) स्वयं रुक जाएगा, वहीं मंदिर का निर्माण किया जाएगा। जब रथ जयपुर में मोती डूंगरी की तलहटी पर पहुंचा, तो वह अचानक रुक गया और फिर आगे नहीं बढ़ा। इसे भगवान गणेश की इच्छा माना गया और वहीं पर मंदिर का निर्माण कराया गया।

विशेष प्रतिमा और पूजा की मान्यता

इस मंदिर में विराजित भगवान गणेश की प्रतिमा दक्षिणमुखी है, जो कि बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है। हिन्दू शास्त्रों में दक्षिणमुखी गणेश की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है क्योंकि वह तुरंत विघ्नों को हरते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश से जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी इच्छाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि नए काम की शुरुआत हो, परीक्षा की तैयारी हो या विवाह की योजना—लोग सबसे पहले मोती डूंगरी के गणेश जी के दर्शन करने पहुंचते हैं।

हर बुधवार को लगता है आस्था का मेला

हर बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ देखने को मिलती है। दूर-दराज से लोग यहां लड्डू, नारियल, दूर्वा और फूल लेकर गणपति को चढ़ाने आते हैं। मंदिर परिसर में प्रसाद के साथ-साथ विशेष भजन संध्या और कीर्तन भी होते हैं, जो पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।

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