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क्या कुम्भलगढ़ किला सच में रात के अंधेरे में हो जाता है जीवित? पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की जांच में खुले सबसे भयानक राज़, देखे VIDEO 

क्या कुम्भलगढ़ किला सच में रात के अंधेरे में हो जाता है जीवित? पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की जांच में खुले सबसे भयानक राज़, देखे VIDEO 

राजस्थान का कुम्भलगढ़ किला इतिहास, शौर्य और वास्तुकला का प्रतीक है। लेकिन हाल ही में यह किला एक और कारण से चर्चा में है—यह दावा किया जा रहा है कि रात होते ही यह किला 'जिंदा' हो उठता है। जी हां, कुछ स्थानीय निवासियों और पर्यटकों का मानना है कि यहां रात में अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं, जिन्हें पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स भी अब गंभीरता से ले रहे हैं। यह खबर अब स्थानीय ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर भी सुर्खियों में है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: वीरता के साथ छुपे हैं कुछ रहस्य

कुम्भलगढ़ किला 15वीं शताब्दी में राणा कुम्भा द्वारा बनवाया गया था। यह किला मेवाड़ की सुरक्षा की दीवार माना जाता था और इसे कई युद्धों का साक्षी भी माना गया है। यह वही स्थान है जहां मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। लेकिन अब यह बहस का विषय बन चुका है कि क्या इस किले की दीवारों में वीरता के साथ-साथ कुछ अतृप्त आत्माएं भी कैद हैं?

रहस्यमयी घटनाओं का सिलसिला

पिछले कुछ महीनों में कई पर्यटकों और आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने दावा किया है कि उन्होंने रात में किले के अंदर से अजीब सी आवाजें सुनी हैं। कुछ ने बताया कि उन्हें किसी के चलने, हथियारों के टकराने और घोड़ों की टापों की आवाजें सुनाई दीं। एक पर्यटक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि देर रात किले के ऊपरी हिस्से से किसी महिला के रोने की आवाज आ रही थी, जबकि वहां कोई नहीं था।

पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की टीम की जांच

इन दावों के बाद हाल ही में एक पैरानॉर्मल रिसर्च टीम मुंबई से कुम्भलगढ़ पहुंची। उन्होंने रातभर किले के विभिन्न हिस्सों में EMF डिटेक्टर, नाइट विजन कैमरा, स्पिरिट वॉयस रिकॉर्डर जैसी अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से निगरानी की। टीम के एक सदस्य ने बताया कि उन्होंने कई स्थानों पर ऊर्जा में असामान्य उतार-चढ़ाव महसूस किए और रिकॉर्डिंग में कुछ अस्पष्ट आवाजें भी दर्ज हुईं, जो सामान्य तौर पर इंसानी गतिविधियों से मेल नहीं खातीं।

पुरातत्व विभाग की प्रतिक्रिया

हालांकि, पुरातत्व विभाग ने इन दावों को अभी तक प्रमाणिक नहीं माना है। उनका कहना है कि यह किला सैकड़ों साल पुराना है और इसमें हवा के बहाव, दीवारों की बनावट और पशु-पक्षियों की आवाजें इस प्रकार की 'पैरानॉर्मल फीलिंग' उत्पन्न कर सकती हैं। फिर भी, स्थानीय अधिकारियों ने सुरक्षा के लिहाज़ से रात में किले के भीतर गश्त बढ़ा दी है।

स्थानीय जनमानस की धारणा

कुम्भलगढ़ किले से जुड़ी लोककथाएं भी इन घटनाओं को और रहस्यमयी बना देती हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इस किले में सैकड़ों सैनिकों की आत्माएं आज भी भटक रही हैं, जिन्होंने अपने प्राण देश की रक्षा में दिए थे। एक बुजुर्ग स्थानीय निवासी ने बताया कि उनके पूर्वजों से उन्होंने सुना है कि किले के कुछ हिस्से रात में स्वतः ही रोशन हो जाते हैं, जैसे कोई वहां चल रहा हो।

टूरिज्म पर प्रभाव

इन रहस्यमयी घटनाओं के सामने आने के बाद कुम्भलगढ़ में ‘हॉन्टेड टूरिज्म’ यानी भूतिया पर्यटन को लेकर भी रुचि बढ़ी है। कई युवा पर्यटक अब रात में किले की ओर जाने की योजना बना रहे हैं, हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सूरज ढलने के बाद किले में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है।

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