क्या आप जानते हैं भारत में है ऐसा मंदिर जहां विराजते हैं भूत? 2 मिनट के वीडियो में जानिए इस रहस्यमयी मंदिर की सच्चाई और मान्यताएं
जिले के टोडारायसिंह नगर में स्थित 'श्याम देवरा' स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है। अपने आप में अनेक कहानियां समेटे इस मंदिर को 'भूतों के मंदिर' के नाम से जाना जाता है। प्रचलित मान्यता के अनुसार इसे भूतों का मंदिर कहा जाता है। रहस्य और रोमांच से भरा यह मंदिर एक रात में निर्मित बताया जाता है। इस मंदिर का राजस्थान के प्रमुख संत पीपा जी महाराज से भी गहरा संबंध है। मंदिर को लेकर कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं।
इसलिए अधूरा है यह मंदिर
किंवदंतियों के अनुसार प्राचीन काल में ऐतिहासिक महलों के प्रांगण में रात्रि के समय भूतों की सभा आयोजित होती थी। एक बार इस सभा में एक सिद्ध पुरुष आए और भूतों को दुष्ट योनि से मुक्त करने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया। इसीलिए इस मंदिर को भूतों का मंदिर भी कहा जाता है। लेकिन भोर होने तक इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका, इसलिए यह आज भी अधूरा है।
संत पीपा जी की भक्ति का रहा है केंद्र
टोडारायसिंह नगर राजस्थान के प्रमुख संत पीपा जी महाराज की तपस्थली रही है। इस मंदिर से भी उनका गहरा नाता है। कहा जाता है कि पीपा जी यहां पूजा-अर्चना करते थे। लोककथा के अनुसार संत पीपा महाराज अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से यहां और द्वारकाधीश की एक साथ पूजा-अर्चना करते थे। एक बार आरती के दौरान अचानक उनके हाथ जल गए और लोगों ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी द्वारकाधीश मंदिर में पूजा के दौरान भगवान के पट जल गए। उन्हें बुझाते समय मेरे हाथ जल गए। तत्कालीन राजा ने घटना, तिथि और समय नोट किया और जब गुजरात में पता करवाया तो यह सच निकला। तभी से इसे पीपा जी का मंदिर भी कहा जाता है।
ये बातें भी बनाती हैं इसे खास
इस मंदिर में शिखर या गुंबद नहीं है। मंदिर के पीछे एक विशाल बावड़ी है। मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थर पास में स्थित तक्षक गिरि के हैं। मंदिर का मुख्य द्वार तिबारा जैसा है। मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थरों की विशेषता है कि जब उन पर कंकड़ फेंके जाते हैं तो वे टंकरा जैसी आवाज करते हैं। जीर्ण-शीर्ण मंदिर के सभी अवशेष आज भी मंदिर में मौजूद हैं।

