गणेश जी को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें, वरना नाराज हो जाएंगे गजानन, देखें पूजा विधि और आरती

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से होती है। चाहे विवाह हो, गृह प्रवेश, व्यवसाय आरंभ हो या कोई अन्य मांगलिक कार्य — बिना श्रीगणेश की पूजा के कार्य अधूरा माना जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीगणेश की पूजा में कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए? कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो भूलकर भी उन्हें अर्पित नहीं करनी चाहिए, अन्यथा वे रुष्ट हो सकते हैं और कार्य में विघ्न आ सकता है।
गणेश पूजन में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
1. तुलसी के पत्ते:
शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश को तुलसी के पत्ते अर्पित करना वर्जित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार तुलसी देवी ने गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव रखा था जिसे गणेश जी ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद तुलसी ने उन्हें श्राप दिया कि उनका विवाह नहीं होगा, और गणेश जी ने बदले में तुलसी को अपने पूजन में वर्जित कर दिया।
2. दूषित या मुरझाए फूल:
गणेश जी को ताजे और सुगंधित फूल प्रिय हैं। मुरझाए, गिरे हुए या मैले फूल चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता। विशेषकर लोटस यानी कमल का फूल गणेश जी को अत्यंत प्रिय होता है।
3. तामसिक वस्तुएं (लहसुन, प्याज, मांस आदि):
गणेश पूजन में सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्याज, लहसुन, शराब या मांसाहार से दूर रहना चाहिए। यह सब अर्पित करना अपवित्र माना जाता है।
4. टूटे-फूटे बर्तन या पूजन सामग्री:
पूजन में प्रयोग होने वाले दीपक, कलश, थाली आदि सभी वस्तुएं साफ-सुथरी और अखंड होनी चाहिए। टूटी हुई थाली या पात्र का प्रयोग करना अपशकुन माना जाता है।
5. नीले या काले फूल:
गणेश जी को विशेष रंगों के फूल जैसे लाल, पीले, सफेद आदि प्रिय होते हैं। नीले या काले रंग के फूल अर्पण करना वर्जित माना गया है।
गणेश पूजा की विधि
गणेश पूजा के दौरान श्रद्धा, भक्ति और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा की शुरुआत गणपति के ध्यान से की जाती है। इसके बाद गणेश जी को स्नान कराकर उन्हें वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर रोली, अक्षत, फूल, दुर्वा, लड्डू, नारियल आदि अर्पित किए जाते हैं। विशेष रूप से 21 दुर्वा (हरी घास की छोटी पत्तियाँ) चढ़ाना शुभ माना जाता है।
गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय हैं, इसलिए प्रसाद में मोदक या लड्डू ज़रूर चढ़ाना चाहिए। पूजा के अंत में गणेश आरती की जाती है और उन्हें आरोग्य, बुद्धि, समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
आरती – “जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा”
गणेश पूजन के बाद आरती का विशेष महत्व होता है। ‘जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा’ — यह आरती हर गणेश मंदिर में गूंजती है और इससे वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठता है।
निष्कर्ष
भगवान गणेश की पूजा सरल होते हुए भी अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। लेकिन अगर कुछ जरूरी नियमों का पालन न किया जाए तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। इसीलिए गणेश पूजन में तुलसी, मुरझाए फूल, तामसिक वस्तुएं या अशुद्ध सामग्री का उपयोग भूलकर भी न करें। शुद्धता, श्रद्धा और नियमों के साथ की गई पूजा निश्चित रूप से सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करती है।
पूरी पूजा विधि और आरती देखने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को जरूर देखें और गणेश जी की कृपा प्राप्त करें।
[वीडियो देखें: गणेश पूजन विधि और आरती]