प्लास्टिक प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण को किस हद तक नुकसान पहुंचाया है, इसकी एक दिल दहला देने वाली तस्वीर फिलीपींस से सामने आई है। यहां समुद्र किनारे मृत अवस्था में मिली एक युवा व्हेल मछली के पेट से 40 किलोग्राम प्लास्टिक बरामद हुआ है। यह मामला न सिर्फ पर्यावरणविदों को झकझोरने वाला है, बल्कि यह हमें भी यह सोचने पर मजबूर करता है कि प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पृथ्वी के अन्य जीवों के लिए कितनी बड़ी समस्या बन चुका है।
क्या है मामला?
यह दर्दनाक घटना फिलीपींस के दावाओ शहर के पास समुद्र किनारे सामने आई, जब शनिवार को एक युवा व्हेल की मृत देह बहकर तट पर आ गई। मृत व्हेल का जब पोस्टमॉर्टम किया गया, तो उसमें से 40 किलो से अधिक प्लास्टिक बैग निकले। यह जानकारी सोमवार को मीडिया रिपोर्ट्स और संग्रहालय की ओर से जारी बयान में सामने आई।
क्या मिला व्हेल के पेट में?
डी बोन कलेक्टर संग्रहालय के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने व्हेल के पेट से निम्नलिखित चीजें बरामद कीं:
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16 चावल की बोरियां
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केले की खेती में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बैग
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कई शॉपिंग बैग
इन भारी और जहरीले प्लास्टिक कचरों की वजह से व्हेल को गैस्ट्रिक शॉक हुआ, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। संग्रहालय के समुद्री जीवविज्ञानियों ने इसे बेहद दुखद और शर्मनाक करार दिया है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
डी बोन कलेक्टर संग्रहालय के फेसबुक पेज पर दिए गए बयान में कहा गया है:
“यह बहुत ही घृणित और भयावह है। सरकार को उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो समुद्र और जलमार्गों को कूड़ेदान समझते हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न सिर्फ समुद्री जीवों के जीवन के लिए खतरनाक हैं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
क्यों बढ़ रही है ऐसी घटनाएं?
दक्षिण-पूर्व एशिया, विशेष रूप से फिलीपींस, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों में प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग होता है। यहाँ प्लास्टिक के सही निपटान की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है, जिसकी वजह से बहुत बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा सीधे नदियों और समुद्रों में पहुंच जाता है।
द गार्जियन की रिपोर्ट बताती है कि फिलीपींस दुनिया के सबसे बड़े प्लास्टिक प्रदूषकों में से एक है। यह अकेले हर साल समुद्र में लाखों टन प्लास्टिक कचरा छोड़ता है।
क्यों है यह चिंता की बात?
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प्लास्टिक खाने से समुद्री जीवों को पाचन तंत्र में रुकावट, गैस्ट्रिक समस्याएं, और धीमी मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
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प्लास्टिक सैकड़ों सालों तक नष्ट नहीं होता, जिससे यह लगातार समुद्री पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाता है।
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प्लास्टिक का टूटकर बनने वाला माइक्रोप्लास्टिक अब मछलियों और झींगों के जरिए इंसानों के शरीर तक भी पहुंच रहा है।
अब क्या करना चाहिए?
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प्लास्टिक के इस्तेमाल को सीमित करें, विशेष रूप से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगे।
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सरकारों को समुद्री क्षेत्रों की साफ-सफाई और निगरानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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आम नागरिकों को भी जागरूकता दिखानी होगी और प्लास्टिक का विकल्प अपनाना होगा।
निष्कर्ष
फिलीपींस की इस घटना ने हमें चेतावनी दी है कि अगर अब भी हम नहीं चेते, तो आने वाले वर्षों में न सिर्फ समुद्री जीव बल्कि पूरा पर्यावरण गंभीर संकट में आ जाएगा। प्लास्टिक से होने वाला यह ‘धीमा ज़हर’ पूरी पृथ्वी के जीवन को प्रभावित कर रहा है, और इसका इलाज केवल जागरूकता, नीतिगत सख्ती और व्यवहार में बदलाव से ही संभव है।